गोंदिया: पूर्व सामाजिक न्याय मंत्री व गोंदिया जिले के पालक मंत्री राजकुमार बडोले ने पत्रकारों से चर्चा परिचर्चा करते हुए कहा- इलेक्शन का माहौल शुरू हो गया है सभी तरफ विधानसभा चुनाव की चर्चा शुरू हो चुकी है , लिहाज़ा चुनाव से पहले पार्टी नेता इशारा पहले ही कर देते हैं , इनडायरेक्टली मुझे हिंट है कि लड़ना ही है ।
2019 के विधानसभा चुनाव में अर्जुनी मोरगांव सीट से मात्र 700 वोट से हुई हार को पराजय नहीं बोलेंगे यह एक्सीडेंटल है। अर्जुनी मोरगांव सीट हमारे (भाजपा ) के लिए अस्तित्व की लड़ाई है , हमारे पास सांसद नहीं है यह भाजपा नेताओं को भी पता है कि हमारा विधायक चुनकर आता है तो ही हमारा वहां क्षेत्र में अस्तित्व टिकेगा , अर्जुनी मोरगांव भाजपा का गढ़ है इसलिए पार्टी वहां से अपना दावा छोड़ेगी मैं ऐसा नहीं मानता ।
विधानसभा तो लड़ना ही है युति होगी नहीं होगी , यह तो बाद का विषय है।
महाराष्ट्र में सामाजिक न्याय (कैबिनेट मंत्री ) रहते हुए इतना ज्यादा काम किया है कि लोग अभी भी मुझे पहचानते हैं, बडोले साहब थे जो मुंबई में इंदू मिल का काम किए , बडोले साहब थे जो लंदन का घर लिए , बडोले साहब थे जो 200 विद्यार्थियों आईएएस के लिए भेजते थे , यह जो बातें हैं यह हमारे समाज के दिलों दिमाग में है।
अर्जुनी मोरगांव विधानसभा क्षेत्र में 50% शेड्यूल कास्ट वोट है , हमारा समाज बहुत बड़ा समाज है , नए वोटर की सिंपैथी भी भाजपा के साथ है।
हां यह जरूर हुआ है कि बहुत सारे ऐसे क्षेत्र में नेता हैं जो खुद को बलशाली मानते हैं और वह चुनाव लड़ेंगे इसलिए इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार है , उसमें रास्ता और भी आसान होगा।
लोकसभा चुनाव में भाजपा को 70000 वोट मिले हैं और 2019 में हमें भी 68000 वोट मिले थे।
उस समय 2019 में वंचित आघाड़ी चुनाव मैदान में थी और उसने 35000 वोट लिए थे लेकिन अभी लोकसभा में केवल दो ही उम्मीदवारों के बीच वोट बंटा, वोट का बायफुर्केशन कुछ नहीं हुआ।
बीजेपी का 41% वोट बैंक है वहां और उसको कोई तोड़ नहीं सकता और जिला परिषद चुनाव में इससे भी ज्यादा बीजेपी ने वोट हासिल किए हैं , राष्ट्रवादी कांग्रेस के पास वैसे जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता नहीं है , राष्ट्रवादी के वोट बिखेर चुके हैं।
ग्रामीण मतदाताओं में जागरूकता है लोगों को सब समझता है , मैं टिकट को लेकर दावा नहीं करता लेकिन मेरी टिकट कटती नहीं ? क्योंकि इशारा पहले से ही पार्टी नेता देते हैं , इसलिए मैं तो चुनाव लड़ूंगा।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा संविधान बदलने का नॉरेटिव सेट किया गया लेकिन वह चुनाव में चला नहीं तो पंजा चुनाव चिन्ह के पर्चे बांटे गए कि खटखटा 8500 हर महीने मिलेंगे तो अभी भी लोग (मतदाता) पूछते हैं कि हमें पैसे कब मिलेंगे ?
काठ की हांडी बार-बार चढ़ाई नहीं जा सकती ग्रामीण अंचल के लोग भी जागरूक हो चुके हैं ।
जनता के कुछ मुद्दे हैं जैसे बिजली की बढ़ी हूई दरें। इसे लेकर मैं महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से विचार विमर्श करके यह प्रयास करूंगा कि यह बढ़ी हुई बिजली दरों को लेकर सरकार शीघ्र निर्णय करे और इसे रोलबैक करें ताकि 30% बढ़ी हुई बिजली दरों से लोगों का राहत मिले।
रवि आर्य