नागपुर – एक समय MIHAN (Multi-modal International Cargo Hub and Airport at Nagpur) को विदर्भ की अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला प्रोजेक्ट माना जा रहा था। सरकार ने इसे रोजगार का केंद्र बनाने और नागपुर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का सपना देखा था। लेकिन दो दशकों के बाद भी यह प्रोजेक्ट अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाया। क्या MIHAN नागपुर के युवाओं के लिए एक अधूरा सपना बनकर रह गया है?
बड़े वादे, छोटी हकीकत
MIHAN को विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई थी, जिसमें IT कंपनियों, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, एविएशन इंडस्ट्री और लॉजिस्टिक्स सेक्टर को आकर्षित किया जाना था। इस प्रोजेक्ट से लाखों नौकरियों की उम्मीद जताई गई थी।
लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि:
• MIHAN SEZ में अब तक 50 कंपनियां ऑपरेशनल हुई हैं, लेकिन कई बड़ी कंपनियां जो यहां निवेश करने वाली थीं, उन्होंने अभी तक अपनी यूनिट्स शुरू नहीं की हैं।
• Boeing की बहुप्रतीक्षित MRO सुविधा धीमी गति से आगे बढ़ रही है।
• Infosys और TCS जैसी कंपनियां आईं, लेकिन उनके द्वारा प्रदान की गई नौकरियां उम्मीद से कम रहीं।
रोजगार के दावों का क्या हुआ?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2014 से अब तक MIHAN में 1,09,000 नौकरियां उत्पन्न हुई हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर नौकरियां सिक्योरिटी, लॉजिस्टिक्स और अन्य लो-स्किल्ड सेक्टर में हैं। हाई-स्किल्ड IT और एविएशन नौकरियों की उम्मीद थी, लेकिन ज्यादातर कंपनियां बाहर से टैलेंट ला रही हैं, क्योंकि लोकल युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट पर उतना ध्यान नहीं दिया गया।
MIHAN में काम कर रहे एक युवा इंजीनियर अमित कुमार कहते हैं, “हमने सोचा था कि यह प्रोजेक्ट हमें बेंगलुरु और पुणे जैसी IT नौकरियां देगा, लेकिन यहां कंपनियों की संख्या और अवसर सीमित हैं।”
MIHAN की चुनौतियाँ
MIHAN के धीमे विकास के पीछे कई कारण रहे हैं:
1. भूमि अधिग्रहण और नौकरशाही की देरी – कई कंपनियों को आवंटित जमीन अभी तक पूरी तरह से उपयोग में नहीं लाई गई।
2. अधूरी इंफ्रास्ट्रक्चर – रोड, ट्रांसपोर्ट और अन्य बुनियादी सुविधाओं के विकास में देरी से कंपनियों की दिलचस्पी घटी।
3. नीतिगत अस्थिरता – निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सुविधाएँ देने में प्रशासन पूरी तरह सफल नहीं हो पाया।
क्या MIHAN पूरी तरह विफल हो गया?
बिल्कुल नहीं! हाल ही में नागपुर मेट्रो के विस्तार और MIHAN को बेहतर कनेक्टिविटी देने के लिए नए ई-बस रूट और फ्लाईओवर प्रोजेक्ट की घोषणा की गई है।
इसके अलावा, सरकार का दावा है कि अगले तीन वर्षों में 2 लाख से अधिक नौकरियां सृजित करने की योजना पर काम हो रहा है।
आगे का रास्ता
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार सही नीतियां अपनाए, स्किल डेवलपमेंट को प्राथमिकता दे और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए पारदर्शी प्रक्रिया बनाए, तो MIHAN अभी भी नागपुर के युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर बन सकता है।
लेकिन सवाल अब भी बना हुआ है – क्या MIHAN नागपुर का भविष्य संवार पाएगा, या यह शहर के युवाओं के लिए एक अधूरा सपना बनकर रह जाएगा?