भारत में दूरदर्शन को ब्लैक एंड वाइट से रंगीन दुनिया में ले जाने का श्रेय पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय वसंतराव साठे को जाता है। टेलीविजन के इतिहास में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है, क्योंकि उनके दूरदर्शी नेतृत्व के कारण ही भारतीय नागरिकों ने 1982 में पहली बार रंगीन टीवी देखा था। यह उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर उनके ऐतिहासिक कार्यों की समीक्षा का एक विनम्र प्रयास है।
दूरदर्शी नेता
वसंतराव साठे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रभावशाली नेता थे। उन्होंने अपने करियर के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, लेकिन आम जनता के लिए उनका सबसे यादगार योगदान भारत में रंगीन टेलीविजन शुरू करने का उनका महत्वाकांक्षी निर्णय था।
1980 के दशक के प्रारंभ में वह सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे। उस समय पूरे देश में मनोरंजन और सूचना का मुख्य स्रोत टेलीविजन था, लेकिन यह केवल काले और सफेद रंग में ही उपलब्ध था। दुनिया भर के कई देशों में रंगीन प्रसारण शुरू हो चुका था और भारत को भी इस प्रगति में शामिल होने की आवश्यकता थी।
1982: भारत में रंगीन टीवी का शुभारंभ
एशियाई खेल 1982 में दिल्ली में आयोजित किये गये थे। यह भारत के लिए वैश्विक स्तर पर एक बड़ी घटना थी। वसंतराव साठे ने इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाया और भारत में रंगीन टेलीविजन प्रसारण शुरू करने का निर्णय लिया।
उस समय तकनीकी और वित्तीय कठिनाइयां थीं, लेकिन साठे ने दृढ़ संकल्प के साथ चुनौती स्वीकार की। उनके अथक प्रयासों के कारण भारत सरकार ने रंगीन प्रसारण के लिए आवश्यक कदम उठाए और 1982 में पहली बार भारतीय दर्शकों ने रंगीन टीवी पर प्रसारण देखा। एशियाई खेलों का यह रंगीन प्रसारण टेलीविजन के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
भारतीय प्रसारण में क्रांति
रंगीन टेलीविजन के आगमन से भारतीय प्रसारण क्षेत्र में बड़ी क्रांति आई। इसके बाद, टेलीविजन अधिक व्यावसायिक हो गया, कार्यक्रमों की विविधता बढ़ गई और विज्ञापन उद्योग ने बड़ी छलांग लगाई।
वसंतराव साठे के निर्णय से भारतीय जनता को मनोरंजन, खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सूचना को अधिक आकर्षक प्रारूप में देखने का अवसर मिला।
वसंतराव साठे का दूरदर्शी नेतृत्व
सिर्फ रंगीन टीवी ही नहीं, बल्कि उन्होंने सूचना एवं प्रसारण के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। उनकी नीति सदैव प्रगतिशील और आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाने वाली रही।
भारत में फिल्म उद्योग की सहायता: उन्होंने भारतीय फिल्म उद्योग को अधिक स्वायत्तता और सरकारी सहायता दी।
मीडिया की स्वतंत्रता: वे मीडिया की स्वतंत्रता के समर्थक थे और इसके विस्तार को बढ़ावा दे रहे थे।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान:उनके प्रयासों से भारत की प्रसारण प्रणाली और अधिक विश्वस्तरीय बन गई।
भारतीय मनोरंजन और प्रसारण क्षेत्र को आज जिस मुकाम पर पहुंचाया गया है, वहां मजबूत आधार तैयार करने में वसंतराव साठे का योगदान अमूल्य है। यह उनके साहसिक और दूरदर्शी निर्णय का ही परिणाम था कि भारतीय दर्शक 1982 में रंगीन टेलीविजन का आनंद ले पाए।
नागपुर में दूरदर्शन केंद्र की शुरुवात
भारत के सूचना एवं प्रसारण क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले वसंतराव साठे ने भारत में रंगीन टेलीविजन की शुरुआत करके इतिहास रच दिया। हालाँकि, नागपुर के लिए उनका एक और महत्वपूर्ण और गौरवपूर्ण निर्णय नागपुर में दूरदर्शन केंद्र शुरू करना था। उनके अथक प्रयासों से विदर्भ के लोगों को स्थानीय प्रसारण की सुविधा मिली और नागपुर प्रसारण मानचित्र पर उभरा।
नागपुर के लिए दूरदर्शन केंद्र की आवश्यकता
1970-80 के दशक में भारत में टेलीविजन प्रमुख मीडिया था। हालाँकि, उस समय केवल बड़े शहरों में ही टेलीविजन स्टेशन थे, और विदर्भ और मध्य भारत के नागपुर जैसे बड़े शहरों में भी अलग से टेलीविजन स्टेशन नहीं थे।
विदर्भ महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, शैक्षिक और औद्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद, स्थानीय कार्यक्रमों या समाचारों के लिए कोई स्वतंत्र टेलीविजन स्टेशन नहीं था। इसलिए नागपुर और विदर्भ के लोगों को मुंबई या दिल्ली पर निर्भर रहना पड़ता था।
वसंतराव साठे के प्रयास
जब वसंतराव साठे केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे, तो उन्होंने नागपुर में दूरदर्शन केंद्र स्थापित करने के लिए काफी प्रयास किए।
नागपुर की केंद्रीय भूमिका: उन्होंने सरकार के समक्ष दृढ़तापूर्वक तर्क दिया कि चूंकि नागपुर भारत के भौगोलिक केंद्र में है, इसलिए यहां एक टेलीविजन केंद्र होना आवश्यक है।
विदर्भ के विकास पर विचार: उन्होंने दूरदर्शन को केवल नागपुर में ही नहीं, बल्कि पूरे विदर्भ क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में पहुंचाने के उद्देश्य से इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया।
संसद में प्रयास: उन्होंने संसद में और सरकारी अधिकारियों के समक्ष लगातार केंद्र सरकार से धनराशि स्वीकृत कराने की मांग की।
तकनीकी और बुनियादी सुविधाएं : उन्होंने नागपुर में उच्च गुणवत्ता वाली प्रसारण सुविधाओं के लिए विशेष योजनाएं लागू कीं और आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए।
नागपुर दूरदर्शन केन्द्र की स्थापना
वसंतराव साठे के अथक प्रयासों के कारण अंततः नागपुर में दूरदर्शन केंद्र शुरू हुआ। इसके परिणामस्वरूप स्थानीय कार्यक्रम, समाचार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रसारण शुरू हुआ। इसका विदर्भ के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ा।
स्थानीय कलाकारों के लिए अवसर: नागपुर दूरदर्शन केंद्र ने स्थानीय कलाकारों, लेखकों और पत्रकारों को राष्ट्रीय स्तर पर चमकने का अवसर दिया।
कृषि एवं ग्रामीण विकास: कृषि कार्यक्रम, शिक्षा एवं सामाजिक मुद्दों पर आधारित कार्यक्रम स्थानीय भाषा में प्रसारित होने लगे, जिसका सीधा लाभ विदर्भ के लोगों को मिला।
सांस्कृतिक पहचान: विदर्भ की लोक संस्कृति, संगीत और लोक कला को उसका उचित मंच मिला।
आज नागपुर दूरदर्शन केंद्र विदर्भ के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस केंद्र की स्थापना का श्रेय स्वयं वसंतराव साठे की दूरदृष्टि को जाता है। उन्होंने न केवल नागपुर के लिए, बल्कि पूरे विदर्भ क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक कार्य किया।
यह उनके योगदान के कारण ही था कि नागपुर प्रसारण मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण केन्द्र बिन्दु बन गया और विदर्भ की सांस्कृतिक और सामाजिक प्रगति को गति मिली। उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम उनके कार्यों का सम्मान करें और उनके दृष्टिकोण को याद करें। भारत में डिजिटल और प्रसारण क्षेत्र की प्रगति को देखते हुए, वसंतराव साठे द्वारा जलाई गई क्रांति की लौ आज भी प्रज्वलित है। उनकी स्मृति को नमन करते हुए, हमें उनके कार्यों को स्वीकार करना चाहिए और उनके सपनों को आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
– डॉ. प्रवीण डबली
वरिष्ठ पत्रकार