नागपुर टुडे– नागपुर की न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार एक अनोखा मामला देखने को मिला। प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती सुल्ताना मैमुना की अदालत में देर रात 2:50 बजे तक सुनवाई चलती रही। जब पूरा शहर सो रहा था, तब कोर्ट में दलीलें और बहस जारी थीं।
महल इलाके में हुई हिंसा के कारण माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। बड़े पैमाने पर हिंसा के बाद पुलिस ने पूरे क्षेत्र में कड़ा बंदोबस्त कर रखा है, साथ ही कई जगहों पर कर्फ्यू लगाया गया है।
27 आरोपी कोर्ट में पेश, विशेष सुरक्षा इंतजाम
गणेशपेठ पुलिस ने मंगलवार को महल दंगा मामले में 51 में से 27 आरोपियों को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (JMFC) कोर्ट में पेश किया। इस सुनवाई के लिए कोर्ट में विशेष सुरक्षा इंतजाम किए गए थे।
बचाव पक्ष का आरोप – निर्दोषों को गिरफ्तार किया गया!
सरकारी पक्ष द्वारा आरोपियों से पूछताछ के दौरान, बचाव पक्ष के वकीलों ने आरोप लगाया कि कई आरोपी इस दंगे से जुड़े नहीं हैं। बचाव पक्ष के वकील रफीक अकबानी और अन्य अधिवक्ताओं ने कहा कि दंगे में स्थानीय लोग नहीं, बल्कि बाहरी लोगों का हाथ था। उन्होंने यह भी दावा किया कि पुलिस ने कई आरोपियों के साथ बेहद कठोर व्यवहार किया और उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया।
सरकारी वकील का प्रतिवाद – पुलिस हिरासत जरूरी!
सरकारी वकील श्रीमती मेघा बुरंगे ने इन आरोपों को खारिज करते हुए पुलिस हिरासत की आवश्यकता को जोरदार तरीके से कोर्ट के सामने रखा। कोर्ट ने अंततः चार आरोपियों को न्यायिक हिरासत (MCR) में भेज दिया, जबकि कुछ आरोपियों को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया और कुछ को दो दिन की पुलिस हिरासत (PCR) दी गई।
मुख्य सरकारी अभियोक्ता की पुष्टि
जिला सत्र न्यायालय के मुख्य सरकारी अभियोक्ता नितीन तेलगोटे ने रात 3 बजे ‘नागपुर टुडे’ से बातचीत में इस मामले की आधिकारिक पुष्टि की।
– रविकांत कांबले
(नागपुर टुडे)