नागपुर. राज्य सरकार की नीति के अनुसार कोरोना योद्धाओं के परिजनों को मुआवजा नहीं मिलने पर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. रंगदेश शिर्के सहित कुल 8 परिवारों की ओर से दायर याचिका में मुआवजे के रूप में 50-50 लाख रु. का भुगतान करने के आदेश मनपा को देने का अनुरोध किया गया. याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि जहां तक 8 याचिकाकर्ताओं का संबंध है, केवल रंगदेव शिर्के को उचित मुआवजा नहीं मिल पाया है. इस संदर्भ में जवाब दायर करने के लिए मनपा की ओर से समय देने की गुहार लगाई गई. जिस पर हाई कोर्ट ने अंतिम मौका प्रदान कर सुनवाई स्थगित कर दी.
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि भले ही राज्य सरकार की ओर से नीति निर्धारित की गई हो, लेकिन 5 वर्षों में परिजनों को केवल 10 लाख रु. का भुगतान किया गया है. जबकि अभी भी 40 लाख का भुगतान बचा हुआ है. इस संदर्भ में कई बार प्रशासन से अनुरोध भी किया गया. किंतु निधि नहीं मिलने से मजबूरन हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है. उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी कर्मचारियों की ओर से याचिकाएं दायर की गई थी. जिस पर आदेशों के अनुसार कुछ कोरोना योद्धाओं के परिजनों को 50 लाख रु. का भुगतान किया जा चूका है. मनपा का मानना था कि मृत कोरोना योद्धाओं को निश्चित ही मुआवजा दिया जा सकता है. किंतु यह तभी संभव है, जब राज्य सरकार की ओर से 50 लाख का भुगतान किया जाए. या फिर मुआवजे के रूप में मनपा को ऐसी राशी का भुगतान हो सके.
याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में बताया गया कि उनके पालक मनपा में कार्यरत थे. कोविद-19 के दौरान मनपा पर अधिक जिम्मेदारी होने के कारण भयावह स्थित के बावजूद वे सेवाएं देते रहे हैं. जिम्मेदारियों का वहन करते समय ही उनकी अकाल मृत्यु हुई है. राज्य सरकार की ओर से इस तरह से मृत्यु होने पर उनके परिजनों को मुआवजा देने के लिए 2 बार अधिसूचना जारी की. 29 मई 2020 और 4 अगस्त 2021 को अधिसूचना जारी किए जाने के बाद मनपा द्वारा इस पर अमल किया जाना था. 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी अबतक परिजनों को पूरा मुआवजा नहीं मिल पाया है.