नागपुर. शिर्डी और शेगांव जैसे धार्मिक स्थलों की तर्ज पर उपराजधानी स्थित दीक्षाभूमि का विकास करने के लिए प्लान तैयार करने और उसके लिए पर्याप्त निधि का प्रावधान कर समयबद्ध तरिके से विकास करने की मांग को लेकर अधि. शैलेश नारनवरे की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने दीक्षाभूमि पार्किंग के लिए जमीन उपलब्ध कराने के कानूनी प्रावधान क्या है. इसका अध्ययन कर कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए थे. जिसके अनुसार याचिकाकर्ता की ओर से अर्जी दायर कर इसे कानूनी रूप से उचित ठहराने का प्रावधान प्रस्तुत किया. अर्जी में याचिकाकर्ता ने कहा कि महाराष्ट्र क्षेत्रिय और नगर नियोजन (एमआरटीपी) अधिनियम-1966 की धारा 37 के तहत प्रक्रिया पूरी कर इसे डेवलपमेंट प्लान में शामिल किया जा सकता है.
याचिकाकर्ता ने अर्जी में कहा कि स्वास्थ्य विभाग के पास वर्तमान में 16.44 एकड़ भूमि और कपास अनुसंधान संस्थान के पास 3.84 एकड़ भूमि को विकास योजना में धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए औपचारिक रूप से आरक्षित किया जाना चाहिए. दीक्षाभूमि राष्ट्रीय महत्व का एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्मारक है, जो डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर और बौद्ध समुदाय के लाखों अनुयायियों की सेवा करता है. इस परिसर का विस्तार करने से न केवल अनुयायियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेगी, बल्कि शिरडी, पंढरपुर या शेगाँव के बराबर तीर्थस्थल के रूप में इसका विकास भी हो सकेगा. अतिरिक्त भूमि के आवंटन से परिसर को तीर्थयात्रियों और आगंतुकों की बढ़ती संख्या को समायोजित करने के लिए बेहतर सुविधाएँ और बुनियादी ढाँचा प्रदान करने की अनुमति मिलेगी. जिससे एमआरटीपी अधिनियम के तहत सार्वजनिक हित के उद्देश्यों के साथ तालमेल होगा.
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वर्तमान जनहित याचिका वर्ष 2018 में दायर की गई थी और पिछले सात वर्षों से लंबित है. कोर्ट के आदेशों से राज्य सरकार ने पहले चरण के लिए पहले ही 200 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं. दूसरे चरण के लिए 181 करोड़ रुपये का प्रस्ताव प्रशासकिय स्वीकृति और अन्य आवश्यक औपचारिकताओं के लिए 2018 से सरकार के समक्ष लंबित है. इस संदर्भ में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है. यह सरकारी अधिकारियों के सुस्त और निष्क्रिय रवैये के कारण मामला अटका हुआ है.
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इस तरह रहा याचिका का सफर
-12 दिसंबर 2018 को पहली बार प्रतिवादियों को नोटिस जारी हुआ.
-20 मार्च 2019 को 100 करोड़ मंजूर होन तथा 40 करोड़ प्रन्यास को दिए जाने की जानकारी उजागर की गई.
-11 मार्च 2020 को दीक्षाभूमि विकास का प्रारूप प्रशासकीय मान्यता के लिए भेजे जाने की जानकारी दी गई.
-18 जनवरी 2023 को 3 वर्ष बाद याचिका सुनवाई के लिए तो रखी गई, किंतु प्रतिवादियों की ओर से समय मांगा गया.
-25 अक्टूबर 2023 को 10 माह बाद अब विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए गए हैं.
-7 नवंबर 2023 को प्रन्यास का शपथपत्र दायर किया गया.
-13 दिसंबर 2023 को निधि बढ़ाकर 200 करोड़ का प्रकल्प करने की जानकारी दी गई.
-7 अगस्त 2024 को सरकार को अंतिम मौका.
-4 सितंबर 2024 को पार्किंग की जमीन पर मांगा कानूनी प्रावधान.