नागपुर. पुराने भंडारा रोड को लेकर भले ही 25 वर्षों पूर्व विस्तार की योजना तैयार की गई हो, लेकिन हाई कोर्ट में चली न्यायीक लड़ाई के कारण मामला काफी समय तक लंबित रहा है. कुछ समय पहले पूरा मसला हल होने के बाद योजना पर अमल शुरू हुआ था. किंतु फिर एक बार सम्पत्तिधारकों की ओर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने इस मामले में अंतिम सुनवाई करने के संकेत देते हुए एक सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि भूमि अधिग्रहण अधिकारी की ओर से प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है. ऐसे में याचिका में सुधार की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था. जिसे स्वीकृत भी किया गया था. उल्लेखनीय है कि 89 सम्पत्तिधारकों की ओर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. भांगडे और मनपा की ओर से अधि. जैमीनी कासट ने पैरवी की.
याचिकाकर्ताओं का मानना है कि सरकार की ओर से 31 दिसंबर 2024 को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम, 2013 के तहत अधिसूचना जारी की गई है. जिसमें कई बातों का पालन नहीं किया गया है. कोर्ट को बताया गया कि भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम, 2013 की धारा 19 (1) और (2) में प्रदत्त नियमों का पालन नहीं किया गया. ना तो पुनर्व्यवस्थापन और पुनर्वसन को अंजाम दिया गया और ना ही नियमों के अनुसार निधि जमा की गई है.
कानून और नियमों के अनुसार प्रशासन की कार्यप्रणाली पूरी तरह से गलत है. गत सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य के नगर विकास विभाग, जिलाधिकारी, एसडीओ और मनपा को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने को कहा गया था. उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा निर्माण के लिए कुछ सम्पत्तिधारकों को अधिग्रहण की प्रक्रिया के अनुसार भुगतान किया गया. जिसके बाद सड़क चौड़ाईकरण के लिए भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की गई. विशेषत: वर्ष 2000 में तत्कालीन नगर आयुक्त टी. चंद्रशेखर द्वारा स्वीकृत 43 विकास परियोजनाओं में से एक पुराना भंडारा रोड चौड़ीकरण कार्य भी शामिल था.
7 जनवरी, 2000 को इस सड़क चौड़ीकरण को मंजूरी प्रदान की गई थी. शुरूआत में सड़क चौड़ाईकरण के लिए कई घरों को तोड़ना पड़ा है. सरकार ने इसके लिए मुआवजा भी दिया है. जिसके बाद 68 लोगों ने सम्पत्ति देने की स्वीकृति दी. राज्य सरकार ने इस सड़क के लिए 339 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं. सड़क निर्माण में देरी के कारण मामला उच्च न्यायालय में चला गया. कोर्ट ने 19 जुलाई 2017 को फैसला सुनाते हुए सड़क निर्माण का आदेश दिया था. जिसके बाद योजना पर अमल शुरू हुआ. किंतु अब पुन: मामला हाई कोर्ट में आ गया है.