नागपुर: सर्वोच्च न्यायलय के निर्देशानुसार तय किये गए माप दंडों पर केंद्रीय प्रवेश प्रक्रिया में प्रादेशिक कोटा पद्धति को मिलाकर राज्य सरकार मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया लेती है। पर इस प्रवेश प्रक्रिया को विदर्भ पर अन्याय करार देते हुए इसे रद्द करने की मांग राज्य के पूर्व महाधिवक्ता और वरिष्ठ वकील श्रीहरी अणे ने नागपुर में की। पत्रपरिषद में अणे ने कहा कि राज्य सरकार के वैद्यकीय शिक्षा व संशोधन संचालनालय द्वारा ली जाने वाली परीक्षा में विदर्भ और मराठवाड़ा के विद्यार्थियों पर बीते कई वर्षो से अन्याय हो रहा है। राज्य सरकार द्वारा ली जाने वाली परीक्षा में जिन भागो में यह परीक्षा ली जाती है, वहां मौजूद कुल सीटों का 70 प्रतिशत हिस्सा उस भाग का होता है। विदर्भ में मेडिकल की 750 सीटे है। इस हिसाब से 433 सीटे विदर्भ के विद्यार्थियों को मिलती है। इसी हिसाब से राज्य के अन्य भाग का पैमाना सुनिश्चित है।
राज्य के अन्य भाग में मेडिकल सीट की संख्या 1610 है इस हिसाब से स्थानीय विद्यार्थियों के लिए 871 सीटें का कोटा सुनिश्चित है। विदर्भ को छोड़ राज्य के अन्य भाग में ज्यादा सीट होने से वह काम अंक पाने वाले विद्यार्थियों को प्रवेश मिल जाता है। जबकि विदर्भ के विद्यार्थी ज्यादा नंबर हासिल करने के बावजूद प्रवेश से वंचित रहते है। विदर्भ को छोड़ महाराष्ट्र में गुणवत्ता लिस्ट ( खुला प्रवर्ग ) में 4110 क्रमांक पर आने वाले विद्यार्थी को प्रवेश मिल गया। जबकि इसी लिस्ट में 47 क्रमांक पर आने वाले विदर्भ के विद्यार्थी को प्रवेश नहीं मिला। 2015 की प्रवेश प्रक्रिया में विदर्भ में खुला प्रवर्ग से 47, मागासवर्गीय से 84, अनुसूचित जाती से 39 विद्यार्थी इसी तरह मराठवाड़ा में खुला प्रवर्ग के 195, मागासवर्गीय के 40 और अनुसूचित जाती के 35 विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं मिल पाया।
मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया का नया नियम बन चुका है। इस नियम के हिसाब से प्रवेश प्रक्रिया लेना अपेक्षित था पर सरकार ने उसमे प्रादेशिक पद्धति कोटे का समावेश किया। यह नियम के विरुद्ध है इस हिसाब से इस बार ली गई परीक्षा वैध नहीं है। ऐसा आरोप लगाते हुए श्रीहरी अणे ने संपूर्ण राज्य के लिए एक गुणवत्ता लिस्ट बनाकर परीक्षा लिए जाने की मांग उन्होंने की। फिलहाल यह मामला न्याय प्रविष्ठ है। पर इस मामले पर निर्णय की प्रतीक्षा न करते हुए। विदर्भ राज्य आघाडी और वी कनेक्ट मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से मिलकर उन्हें इस संबंध में निवेदन देगा ऐसी जानकारी भी अणे ने दी।
जब राज्य एक तो नियम एक क्युँ नहीं
एक ओर एक राज्य एक नियम की बात की जाती है। तो दूसरी तरफ मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया में प्रादेशिक कोटा पद्धति अपनाकर विसंगती क्यू पैदा की जा रही है। यह सवाल श्रीहरी अणे ने उठाया। संयुक्त महाराष्ट्र की एक ही लिस्ट होनी चाहिए यह हमारा मत है। इस पद्धति की वजह के कलम 372 (2 ) का उंल्लघन होने की बात भी श्रीहरी अणे ने कही। यह कलम लोकसंख्या के आधार पर निधी आवंटन के लिए होने की जानकारी भी उन्होंने दी।