नागपुर: हिरणों की विभिन्न प्रजातियों में से एक बार्किंग डियर के दो छौने(बच्चे) चंद्रपुर गढ़चिरोली जिले के आलापल्ली से उपराजधानी लाए गए। आलापल्ली के विभागीय आयुक्त ने इन हिरणों को नागपुर के गोरेवाड़ा प्राणी बचाव केंद्र में रखने के लिए भेजा था। लेकिन यहां विभिन्न कारण बता कर हिरण के दुधमुहे बच्चों को अपने कब्जे में लेने से इंकार कर दिया। मजबूरन दोनों हिरणों को महाराजबाग चिड़ियाघर में भेजा गया जिसे चिड़ियाघर प्रशासन ने स्विकार कर लिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार को महाराजबाग चिड़ियाघर में आलापल्ली से लाए गए दो हिरण के बच्चों को रखा गया। इन हिरणों में एक नर और एक मादा है जिनकी उम्र दस दिन के आस पास बताई जा रही है। दोनों को ही आलापल्ली में किसी व्यक्ति ने एक जगह देखा था। आस पास उनकी मां ना दिखाई देने से उन्हें वन विभाग को सूचना देकर सौंप दिया। इसके बाद इन हिरणों की देखरेख के लिए वन विभाग ने हिरण के छौनों को लंबा सफर तय तक नागपुर स्थित गोरेवाड़ा वन्यजीव बचाव केंद्र भेज दिया। बताया जाता है कि यहां हिरणों को रखने के लिए जरूरी कागजात मांगे गए। लेकिन कर्मचारियों ने 15 मिनट में आने की बात कहकर वहां से चलते बने।इसके बाद उन हिरणों को महाराज बाग में लाकर छोड़ दिया गया। इस मामले में जब गोरेवाड़ा परियोजना के प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों से संपर्क साधा गया तो बिना वन्यजीव विभाग की मंजूरी के अन्य स्थान पर हिरणों को रखे जाने को ही गैर कानूनी बताया गया। साथ ही विभागीय स्तर पर मामले की पूछताछ करने की तैयारी भी दर्शायी गई।
महाराजबाग चिड़ियाघर प्रभारी डॉ. ए.एस. बावस्कर ने बताया कि इन हिरणों को हमारे यहां छोड़ा गया है। गोरेवाड़ा प्राणी संग्रहालयवालों ने इन्हें क्यों छोड़ा इसकी ठीक जानकारी नहीं। हालांकि इतना तो तय है कि जब तक समस्या का हल नहीं निकल जाता फिलहाल इन बिना मां के मृग छौनों का ठिकाना महाराजबाग चिड़ियाघर ही रहेगा। बताया जाता है कि यह हिरण बहुत कम दिखाई देते हैं।