नागपूर : नागपुर जिले में बढ़ते प्रदूषण के कारण आंखो से संबंधि बीमारियां बढ़ती ही जा रही हैं. इस वजह से नम्बर के चश्मे पहनने का प्रमाण कुछ वर्षो में बहुत बढ़ चुका है. आज विकासशील देशों मे भी चश्में से छूटकारा पाने के लिए लेझर ट्रीटमेंट का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन महंगी उपचार सेवा होने के कारण आम जनता इसके पहुंच से दूर थी. लेकिन अब आम लोगों को भी इस सुविधा का लाभ दिलाने के मकसद से राज्य सरकार ने मुंबई के जे. जे. अस्पताल के बाद नागपुर के मेडिकल अस्पताल के नेत्र विभाग में लासीक लेझर मशीन उपलब्ध कराई है. जल्द ही यह मशीन मरीजों की सेवा में शुरू की जाएगी.
इस मशीन को उपलब्ध कराने के िलए 3.10 करोड़ रुपए की लागत लगी है. शासकीय अस्पतालों इस प्रकार की लेजर मशीन मुंबई के बाद नागपुर के मेडिकल अस्पताल को ुपलब्ध हो गई है. शहर में आँखों की जांच करने के बाद आम तौर पर डॉक्टर मरीजों को चश्मा लगाने की सलाह देते हैं. लेकिन हमारे यहां चश्मे को लेकर बहुत सी गलतफहमियां हैं. इसलिए ज्यादातर लोग चश्मा लगाना पसंद नहीं करते. जिस वजह से उनकी आखों पर विपरीत परिणाम भी होते दिखाई देते हैं. चश्मा लगने के बावजूद चश्मा नहीं लगाने से आंखों पर तनाव आता है. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए कुछ लोग लेन्स भी लगाते हैं. इस प्रकार के उपचार के लिए 40 से 50 हजार रूपए तक का खर्च आता है. सभी के लिए इतनी बड़ी रकम खर्च करना आसान नहीं होता. इसलिए मेडिकल अस्पताल ने मरीजों की सुविधा और जरुरत को ध्यान में रखकर यह मशीन मंगवाई है. इसकी फीस भी सामान्य ही रहेगी.
इस दौरान मेडिकल अस्पताल के नेत्र विभागप्रमुख डॉ. अशोक मदान ने कहा कि जिसके चश्मे का नंबर -4 से -10 तक है. इस मशीन से उस व्यक्ति को चश्मा लगाने की जरुरत नहीं होगी. इस उपकरण की मदद से आँखों का परदा पतला करके उसका अनावश्यक भाग लेज़र से निकाला जाता है. इस उपकरण की वजह से मरीज जल्दी घर जा सकता है और इससे मरीज को परेशानी भी कम होती है.