Published On : Mon, Jun 5th, 2017

नागपुर में किसान हुए उग्र, प्रदर्शन के दौरान की पत्थरबाजी घंटो सड़क मार्ग रोका

Advertisement

नागपुर: राज्य में किसान आंदोलन में फ़ूट पड़ने के बवजूद सरकार के ख़िलाफ़ किसानों का आंदोलन जारी है। राज्य भर की तरह नागपुर जिले में भी सोमवार को किसान अपनी माँगो को लेकर सड़को पर उतरे। सावनेर में तो किसानों ने उग्र प्रदर्शन किया। आंदोलन में शामिल किसानों ने राज्यव्यापी बंद का आंदोलन आव्हान किया था सावनेर के मुख्य चौक पर किसानों ने प्रदर्शन कर बाज़ार को बंद कराने का प्रयास किया। किसानों के इस आंदोलन में कई दुकानदारों ने स्वेक्षा से अपनी दुकाने बंद की लेकिन जो दुकानें किसानों की अपील पर बंद नहीं हुई उन्हें बंद कराने के लिए पत्थरबाजी तक की गयी।

शेतकरी संगठन की तरफ से नागपुर जिले की विभिन्न तहसीलों में प्रदर्शन किया गया। सावनेर में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संगठन के जिला प्रमुख अरुण केदार ने कहाँ की राज्य का किसान हलकान है वह मज़बूरी में अपने हक़ के लिए सड़को पर उतरा है यह समाज की जिम्मेदारी है की वह इस आंदोलन को स्वेक्षा से समर्थन दे। किसान अब उग्र हो रहा है। आज के प्रदर्शन के दौरान किसानों ने लगभग चार घंटे रास्ता रोका और बाजार बंद का ऐलान किया जो इस आंदोलन में शामिल नहीं हुआ उसे किसानो के रोष का सामना करना पड़ा।

Gold Rate
Thursday 09 Jan. 2025
Gold 24 KT 77,900 /-
Gold 22 KT 72,500 /-
Silver / Kg 90,600 /-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

सावनेर की ही तरह काटोल और जिले के अन्य भागों में भी प्रदर्शन हुए। नागपुर शहर में मानेवाड़ा चौक पर किसानों ने आंदोलन किया इस दौरान किसानो द्वारा उत्पादित फ़ल,सब्जी और दूध को सड़को पर फेका गया। प्रदर्शनकारी किसानों ने सरकार के रवैय्ये पर नाराजगी जाहिर की और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ नारेबाज़ी की। दरअसल किसान अब ये मान रहे है की विपक्ष में रहते हुए बीजेपी ने किसानों से वादे किये थे उसे तीन साल बीत जाने के बावजूद पूरा नहीं किया गया है। किसान दिनबदिन हलकान हो रहा है जबकि सरकार उनकी माँगो की लगातार अवहेलना कर रही है। राज्य सरकार ने किसानों के आंदोलन के बाद कृषि मूल्य आयोग के गठन की बात कही है लेकिन किसानों के प्रदर्शन में शामिल वरिष्ठ अर्थशास्त्री श्रीनिवास खांदेवाले ने इस कदम से भी किसानो को किसी तरह की ठोस मदत मिलने के दावे को खारिज किया है।

किसान संगठनों के अनुसार उनकी अर्थव्यवस्था को सिर्फ संपूर्ण कर्जमुक्ति ही पटरी पर ला सकती है इसलिए सरकार फैसलों और बातो में उलझाने की बजाये कर्जमुक्ति का फ़ैसला ले। किसानों ने हंगामेदार प्रदर्शन के बाद गिरफ़्तारी भी दी।




Advertisement