नागपुर: कुछ दिन पूर्व हाईटेंशन टॉवर लाइन के संपर्क में आने से दो बच्चों की मृत्यु हुयी थी, इस मामले में दोषी मनपा के दो सहायक अभियंताओं को जरीपटका पुलिस ने गिरफ्तार किया, साथ ही भवन निर्माता को भी गिरफ्त में लिया। दोनों दोषी मनपा कर्मियों के पक्ष में एक शिष्टमंडलने (जिसमें मनपा कर्मियोंसह अधिकारी भी थे), कल महापौर नंदा जिचकर व मनपायुक्त आश्विन मुद्गल से मुलाकात की. ताकि इन अभियंताओं को निलंबित न किया जाये. लेकिन शिष्टमंडल में शामिल एक भी कर्मी ने मृतक बच्चों के प्रति सद्भावना प्रकट नहीं की.
यह साफ़ हो चूका है कि मनपा नगर रचना विभाग पिछले कई वर्षो से दर माह सैकड़ों नक़्शे मंजूर करते जा रहा है. लेकिन नियमानुसार एक भी निर्माणकार्य की जाँच भी नहीं की जा रही है. मंजूर नक़्शे के हिसाब से प्रत्यक्ष जाँच के बजाय भारतीय मुद्रा हासिल कर कागजों पर ही जाँच रिपोर्ट तैयार करके भवन निर्माताओं को फायदा पहुँचाने का सिलसिला जारी है. इसका नाजायज फायदा उठाकर भवन निर्माता अवैध बांधकाम को बखूबी अंजाम देकर फिर उसे बेचकर उस इमारत से अपना पिंड छुड़ा लेता है. ऐसे में कभी खरीददार ग्राहकों को अतिक्रमण कार्रवाई तो कभी दुर्घटना का सामना करना पड़ता है.
इसलिए मनपायुक्त और महापौर से मोदी फाउंडेशन ने मांग की है कि पिछले एक वर्ष में मनपा जोन, नगर रचना विभाग द्वारा मंजूर सभी नक़्शे के हिसाब से निर्माणकार्यो की पुनः सूक्षम जाँच होनी चाहिए। और उक्त गिरफ्तार सहायक अभियन्ताओं को निलंबित करना चाहिए, साथ ही जाँच में दोषी पाए गए अफसरों पर एमसीएम एक्ट के तहत कार्रवाई होनी चाहिए.
उल्लेखनीय यह है कि मनपा में चुनिंदा स्थाई कर्मी व अधिकारी वर्ग ही अपनी जिम्मेदारी शिदद्त से निभा रहा है, शेष तो सरकारी नौकरी का मजा ले रहे है. अधिकांश वक़्त मीटिंग, दौरे, अधिकारी-पदाधिकारी के काम के बहाने ये कार्यालय से बाहर ही होतें हैं. ये बस तभी दिखते है, जब कोई आर्थिक लाभ का मामला हो. इसलिए मनपायुक्त से फाउंडेशन की मांग है कि, पिछले २ माह से माह के पहली तारीख को जब वेतन दे रहे है तो उसके हिसाब से काम भी करवाएं जाये.