नागपुर: चीन के साथ सीमा पर मची तनातनी असर दोनों देशो के व्यापारिक रिश्तों पर भी पड़ रहा है। देश भर में चीनी कंपनियों के विरोध का सिलसिला अधिक तेज़ हो गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ही संस्था स्वदेशी जागरण मंच चीन के साथ सभी व्यापारिक रिश्तों को बंद करने की मांग तीव्रता के साथ उठा रहीं है। मंच के विरोध का सीधा असर नागपुर मेट्रो रेल परियोजना पर पड़ सकता है।
स्वदेशी जागरण मंच के अनुसार उनका नागपुर में लगने वाले चाइना रेलवे रोलिंग स्टॉक कॉर्पोरेशन के कारखाने का विरोध है। जिसे किसी भी सूरत में नहीं लगने दिया जाएगा। अभी फ़िलहाल विरोध के तौर पर मंच जनता के बीच जनजागृति फ़ैला रहा है लेकिन अगर जरुरत पड़ी तो तीव्र आंदोलन किया जायेगा लेकिन किसी भी हाल में इस कारख़ाने को नागपुर में नहीं लगने दिया जायेगा।
स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय विचार विभाग प्रमुख अजय पत्की के मुताबिक मंच द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय को निवेदन सौंपा गया है जिसमे चीन के साथ मिलकर मेट्रो रेल डिब्बा निर्माण कारख़ाने का क़रार रद्द करने की माँग की गई है। उन्हें उम्मीद है की सरकार इस माँग को संजीदगी से लेकर क़रार रद्द करेगी। फिर भी सरकार इस मांग को नहीं मानती है तो तीव्र आंदोलन किया जायेगा।
पत्की के अनुसार चीन भारत का अघोषित दुश्मन है इसमें कोई दो मत नहीं इसलिए दुश्मन देश के साथ किसी भी तरह का व्यापारिक रिश्ता नहीं होना चाहिए। देश को अपने संसाधनों को बेहतर कर ख़ुद को मज़बूत करना चाहिए। हमारे पास बेहतर विकल्प उपलब्ध है उसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
15 अगस्त 2016 को नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने चाइना की कंपनी के साथ क़रार किया था। इस करार के मुताबिक चाइना रेलवे रोलिंग स्टॉक कॉर्पोरेशन 1500 करोड़ रूपए का निवेश करने वाली है। शहर की लगभग किलोमीटर लंबाई वाली परियोजना के तहत 69 कोच की आवश्यकता है जिसे चाइना की कंपनी 851 करोड़ रूपए में उपलब्ध कराने वाली है इस कंपनी के पास ही मेट्रो ट्रेन के डिब्बों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी रहेगी। हालांकि करार के बाद इस कारख़ाने का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। इसलिए भी स्वदेशी जागरण मंच की मांग है की इस कंपनी के साथ करार को रद्द कर किसी स्वदेशी कंपनी को मेट्रो कोच निर्माण की जिम्मेदारी दी जाए।