नागपुर: नागपुर शहर में आधे से ज्यादा भाग में बिजली का आसमानी संकट दौड़ रहा है। शहर में बनी इमारतों के ऊपर से जानलेवा बिजली का करेंट दौड़ रहा है। नियमो को ताक पर रखकर और प्रशाषन की लापरवाही की वजह से सुरक्षा मानकों को धता बताकर मौत को दावत देने वाली इमारतों को तैयार किया गया है। बिजली के रूप में घरो और इमारतों के अगल-बगल और ऊपर से गुजरने वाली हाईटेंशन लाइन किस हद तक ख़तरनाक हो चुकी है इसका खुलासा महानगर पालिका के इस संबंध में किये गए सर्वे से पता चलता है। इस सर्वे के मुताबिक शहर के करीब 50 फीसदी से ज्यादा हिस्से में हाईटेंशन लाइन से दौड़ने वाली बिजली मौत को निमंत्रण दे रही है।
नियमो को ताक पर रखकर किये गए निर्माणकार्य की वजह से शहर के सुगातनगर इलाके के इसी साल 31 मई को आरमोर टाउनशिप में हुए दर्दनाक हादसे में प्रियांश धर और उसके जुड़वा भाई पियूष की करंट लगाने से दर्दनाक मौत हो गयी थी। इस घटना के बाद मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ से स्वतः संज्ञान लिया और मनपा,एनआइटी और शहर में बिजली वितरक कंपनी एसएनडीएल को एक सर्वे करने का आदेश दिया था। इस आदेश में कोर्ट ने तीनो एजेंसियों को इमारतों के ऊपर से गुजरने वाली बिजली की तारों और उससे निर्माण होने वाले खतरे की रिपोर्ट अदालत में जमा कराने को कहा था। कोर्ट के आदेश के बाद मनपा के नगर रचना विभाग ने इस संबंध में एसएसडीएल द्वारा सुझायी गयी 141 जगहों को आधार बनाकर सर्वे कराया। जिसमे यह सामने आया की इमारतों के ऊपर-और अगल बगल से खतरनाक हाईटेंशन लाइन गुजरती है।
बिजली के तार की किसी ईमारत से तय की गयी दुरी के नियमो का यहाँ साफ़ तौर उल्लंघन पाया गया। नियम के मुताबिक ईमारत के ऊपर से 13 फीट ही ऊंचाई और अगल-बगल से 3 मीटर जगह से बिजली की लाइन जानी चाहिए। लेकिन पुरे शहर भर में सिर्फ किसी-किसी जगह नियम का पालन हुआ है जबकि अधिकतर जगह इसकी अनदेखी ही की गयी है।
मनपा द्वारा कराये गए सर्वे रिपोर्ट को इसी मामले की अगली सुनवाई में अदालत के सामने जमा कराई जाएगी।