नागपुर: नागपुर सहायक धर्मदाय आयुक्त कार्यालय ने आरएसएस नाम से रजिस्ट्रेशन की याचिका को ख़ारिज कर दिया है। बुधवार को दिए गए अपने तर्क में कार्यालय ने राष्ट्रीय शब्द का उल्लेख होने की वजह से रजिस्ट्रेशन न दिए जाने बात कही। इस मसले पर धर्मादाय आयुक्त कार्यालय द्वारा दो कानूनविदों की रे भी ली उन्हें के सुझाव के आधार पर यह फैसला लिया गया। वही दूसरी तरफ इस फैसले के खिलाफ आरएसएस नाम से संस्था के रजिस्ट्रेशन का आवेदन करने वाले पूर्व नगरसेवक जनार्दन मून ने अदालत जाने की तैयारी दर्शायी है।
मून शुक्रवार को उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल करेंगे। 28 अगस्त 2017 को जनार्दन मून ने धर्माधाय आयुक्त कार्यालय में ऑनलाइन और मैनुअल दोनों प्रकार से ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ नाम से सामाजिक संगठन के रजिस्ट्रेशन की अपील की थी। इससे पहले उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी पत्र लिखकर अपना निवेदन दिया था। जिसे मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से नागपुर स्थित सहायक धर्मदाय आयुक्त कार्यालय में हस्तांतरित किया गया था। आरएसएस नाम पर रजिस्ट्रेशन की माँग करने वाली याचिका पर यवतमाल के वकील राजेंद्र गुंडलवार ने आपत्ति जताते हुए इस नाम से पहले ही पंजीयन होने का दावा प्रस्तुत किया। लेकिन मून ने इस दावे को पुख्ता करने का किसी भी तरह का साक्ष्य जमा नहीं कराये जाने की जानकारी दी है।
जनार्दन मून का दावा सत्ताधारी दल के दबाव में लिया गया फैसला
याचिका ख़ारिज हो जाने पर जनार्दन मून ने सत्ताधारी दल बीजेपी के दबाव की वजह से सहायक धर्मादाय आयुक्त कार्यालय द्वारा फैसला सुनाये जाने का आरोप लगाया है। उनके मुताबिक जिस राष्ट्रीय शब्द को लेकर उनकी याचिका को ख़ारिज किया है। उस संबंध में कार्यालय या शाषन की किसी भी तरह की गाइडलाईन या आदेश नहीं है। कार्यालय के 2005 के जीआर का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया की इसमें सिर्फ भारतीय शब्द का जिक्र है। इसीलिए उन्होंने अपनी संस्था के रजिस्ट्रेशन के लिए राष्ट्रीय शब्द का इस्तेमाल कर याचिका दी थी।
आरएसएस में आकर समाजकार्य करे जनार्दन मून
वही दूसरी तरफ संघ अभ्यासक दिलीप देवधर ने जनार्दन मून के आरएसएस नाम को लेकर रूचि पर आश्चर्य व्यक्त किया है। उनका कहना है की संघ जिस तरह से राष्ट्र और समाज की सेवा कर रहा है उसके लिए किसी संगठन के रजिस्ट्रेशन का की जरुरत नहीं। अगर वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यो से प्रभावित है तो वह बेझिझक संघ से जुड़ सकते है। संस्था के रजिस्टेशन के लिए सरकार की मान्यता की आवश्यकता है समाज कार्य के लिए नहीं। समाजसेवा के लिए ऐसा कोई बंधन नहीं है।