सड़कों पर फर्राटेदार गाड़ी चलाने वाले ‘ड्राइवर’ अक्सर ‘यू-टर्न’ लेते हुए दिख जाते हैं. वहीं क्रिकेट की पिच पर ‘मास्टर स्ट्रोक’ लगाने वाले क्रिकेटर भी रक्षात्मक अंदाज में कई बार ‘बैकफुट’ पर खेलते नजर आते हैं! ड्राइवरों को जहां “नजर हटी… दुर्घटना घटी” का सूत्र- वाक्य हमेशा याद रहता है, वहीं बैकफुट पर खेलने वाले बल्लेबाज के मन में ज्यादा पांव पीछे हटाने पर ‘हिट विकेट’ हो जाने का डर भी सताने लगता है! ऐसा ही कुछ हमारी केंद्र सरकार कर रही है. वह ‘अर्थव्यवस्था की पिच’ पर ‘जीएसटी के छक्के मारने’ के लिए फिलवक्त बैकफुट पर खेलने लगी है. उसके नरम गरम कैप्टन ‘नमो-नमो’ जानते हैं कि विपक्ष, व्यापारी और मतदाता अब ‘आक्रामक गेंदबाजी’ कर रहे हैं, तो उन्होंने ‘बैकफुट’ पर खेलने में ही अपनी (और सरकार की) भलाई समझी है! इसीलिए ही केंद्र के ‘ड्राइवर’ ने जीएसटी पर ‘यू-टर्न’ ले लिया है!
अब व्यापारियों को हर माह रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं है. वहीं खाद्य पदार्थों, कपड़ों, दवाइयों और ज्वेलरी सहित निर्यात में जीएसटी पर छूट देकर 27 वस्तुएं सस्ती कर दी गई हैं. मतलब यह व्यापारियों व जनता को खुश करने की कवायद ही है. जीएसटी से पहले भी इस सरकार ने नोटबंदी के 52 दिनों में ‘बावन-बावन’ करते हुए कम से कम 50 बार ‘यू-टर्न’ लिए थे. यानि नमो सरकार को जनता के गर्म होने पर नरम हो जाने की आदत-सी पड़ती जा रही है! स्वस्थ लोकतंत्र के लिए इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है?
किंतु,… इस ‘पलटीमार नीति’ को हमारे एक मित्र ‘नमो’ सरकार को हो रहे ‘गमों’ से जोड़ रहे हैं. उनके अनुसार जीएसटी का सही मतलब अब “गुजरात सूर्योदय टैक्स” हो गया है, क्योंकि गुजरात में ‘चुनावोदय’ सन्निकट है. इसी कारण भाजपा को ‘सन्निपात’ (लकवा) से बचाने के लिए जीएसटी के टैक्स स्लेब में छूट और कारोबारियों को राहत दी गई है…. अन्यथा गुजरात के चुनाव में भाजपा को ‘सूर्योदय’ के स्थान पर ‘सूर्यास्त’ का नजारा देखने का भय सताने लगा था!
इधर, ‘मोदी-शाही’ (केंद्र) के हर फटे (मामले) में अपनी टांग फंसाने वाले ‘शिवशाही’ के कथित उत्तराधिकारी (ठोकरे) इस मैटर में भी शब्दबाण छोड़ने (ठोंकने) से नहीं चूके! उन्होंने सीधे-सीधे खरी-खोटी सुना दी कि जीएसटी में बदलाव कोई दिवाली गिफ्ट नहीं है. विपक्ष और कारोबारियों की नाराजगी को देखते हुए केंद्र सरकार को यह कदम मजबूरन उठाना पड़ा. सरकार को ऐसे और कदम उठाने की जरुरत है, क्योंकि पेट्रोल की कीमत है अभी भी ज्यादा है…. महंगाई अभी भी बढ़ रही है …. और भी बहुत कुछ हो रहा है ! सुन रहे हैं न ‘नमो-भक्त’ ? धन्य हो यह जीएसटी, जिसे गुजरात में ‘कमलोदय’ होने की उम्मीद में बदला गया है…. वरना वहां तो ‘विकास भी पगला गया है!’