Published On : Tue, Oct 31st, 2017

किसानों की आत्महत्याओं से बदनाम हुए महाराष्ट्र में आगे आईं महिलाएं, उठाया ये बड़ा कदम

Representational purposes

हिंगलाजवाडी: महाराष्ट्र का हिंगलाजवाडी गांव की महिलाओं ने अपने गांव को ‘नो सुसाइड जोन’ में बदल देने का संकल्प लिया है। 3000 की जनसंख्या वाले इस छोटे से गांव में दोपहर के समय घर का काम करते हुए पुरुष दिखाई देते हैं। विष्णु कुंभर जहां पॉलट्री फार्म साफ करते दिखाई दे रहे हैं वहीं अच्युत कटकटे सोयाबीन को चुनते- बीनते दिख रहे हैं, जबकि गांव के दूसरे पुरुष बच्चों की देख-रेख में जुटे हैं। इन महिलाओं का दबदबा इतना है कि इनकी अनुपस्थिति में भी स्थिति बिगड़ती नहीं है, यह किसी साधारण गांव का सीन नहीं लगता है।

घर के कामकाज में जुटे पुरुषों के बारे में कटकटे बताते हैं कि गांव की महिलाएं सेल्फ हेल्फ ग्रुप का इंस्टॉलमेंट जमा करने शहर गई हैं। वहां से गांव की महिलाएं बाजार भी जाएंगी और अपने बिजनेस और दुकानों के लिए सामान खरीदती हुई वापस आएंगी।

हिंगलावाडी गांव की महिलाओं ने बीड़ा उठाया है कि उनके गांव का कोई भी किसान अब आत्महत्या नहीं करेगा। कोमलताई सहित गांव की महिलाओं ने न केवल घर के खर्चों का बीड़ा उठाया है बल्कि खेती किसानी में भी हर दिन नए एक्सपेरिमेंट कर रही हैं।

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महाराष्ट्र का मराठवाड़ा इलाका सूखा और फसल बरबाद की समस्या से जूझ रहा है। लगातार पड़ता सूखा और फसल बरबाद होने पर अब गांव के किसान आत्महत्या नहीं करें इसलिए खेती किसानी से लेकर घर खर्च तक का बीड़ा महिलाओं ने उठा लिया है। सूदखोरों का व्यवसाय खत्म हो गया है।

गांव की महिलाओं ने ठाना है कि अगर कोई किसान आत्महत्या कर लेता है तो उसका परिवार और बच्चा भूखा नहीं सोएगा

Representational purposes

गांव की किसान रेखा शिंदे कहती हैं कि हरबार हमारे यहां कम वर्षा होती है, सूखा भी हमारे गांव या क्षेत्र की बड़ी समस्या है। गांव के किसान लगातार आत्महत्या कर रहे थे, फिर हमलोंगो ने ठाना कि अब हम ऐसा नहीं होने देंगे और हमने अपने घरों की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली और कसम खाई की अब किसानों को मरने नहीं देंगे।

गांव की महिलाओं ने ठाना कि अगर कोई किसान ऐसा कोई कदम उठा लेता है तो उसका परिवार और बच्चा भूखा नहीं सोएगा। हमने अपने घरवालों से किसानी के लिए थोड़ी सी जमीन मांगी, शुरू- शुरू में उनलोगों ने हमें कहा कि महिलाएं सिर्फ घर की देखभाल के लिए होती हैं खेतों के लिए नहीं..

लेकिन हम गांव की महिलाओं ने हार नहीं मानी और अपनी बात हर दिन रिपीट करते रहे और धीरे धीरे हमने खेतों के छोटे से टुकड़े पर सब्जी उगानी शुरू की। कम पानी, रिसोर्सेज और बिना किसी मदद से खेती शुरू की। खेती से फायदा हुआ, परिवार के भरणपोषण में तो मदद मिली ही कमाई भी बढ़ गई। और बढ़ी कमाई ने न केवल हमें आत्मविश्वास से भर दिया बल्कि हमारे परिवार वालों का विश्वास भी हम पर बढ़ गया है।

अब इस गांव में करीब 200 सेल्फ हेल्प ग्रुप चल रहे हैं जिसमें गांव की करीब 265 महिलाएं सदस्य हैं। सेल्फ-हेल्प ग्रुप की मदद से गांव की महिलाएं मुर्गा पालन केंद्र, बकरी पालन, डेयरी व्यवसाय, कपड़े की दुकान सहित कई व्यवसाय चला रही हैं। ऐसा ही एक व्यवसाय चला रही कमल कुंभर को सीआईआई फांउडेशन वुमन सम्मान 2017 और नीति आयोग सम्मान से सम्मानित किया गया है।

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