Published On : Fri, Nov 17th, 2017

आरटीई के बांटने हैं रु. 86 करोड़, बंटे केवल 44 लाख

RTE
नागपुर: नागपुर जिले में पढ़ रहे आरटीई के तहत विद्यार्थियों की मुश्किलें और बढ़नेवाली हैं. क्योंकि मिस्टा (महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल ट्रस्टीज एसोसिएशन) ने स्कूलों का बकाया 86 करोड़ 44 लाख 7 हजार रुपए देने की मांग राज्य सरकार से की है. मिस्टा की ओर से बकाया निधि नहीं देने की वजह से अगले सत्र से आरटीई के तहत एडमिशन देने की प्रक्रिया पर भी रोक लगाई जाएगी. जबकि अमूमन जनवरी महीने से आरटीई के तहत एडमिशन के आवेदनों की शुरुआत हो जाती है. शिक्षणाधिकारी दीपेंद्र लोखंडे के पास 44 लाख रुपए राज्य सरकार की ओर से आए थे. जिसमें से उन्होंने नागपुर जिले के 621 इंग्लिश मीडियम स्कूलों को यह निधि बांट दी. लेकिन जिले की स्कूलों का बकाया 86 करोड़ 44 लाख 7 हजार रुपए कब तक आएगा, इसकी आशंका बनी हुई है.

जानकारी के अनुसार राज्य सरकार को केंद्र सरकार ने निधि भेजी है. लेकिन राज्य सरकार की ओर से यह अब तक स्कूलों को नहीं दिया जा रहा है. कई बार इंग्लिश मीडियम स्कूलों के संचालकों ने राज्य के शिक्षा मंत्री से पत्र व्यवहार किया है. लेकिन सरकार ने कोई भी ठोस पहल अब तक नहीं की है. जिसके कारण मिस्टा संयोजक व जिला सचिव कपिल उमाले, उपाध्यक्ष नरेश भोयर और कार्याध्यक्ष मोहम्मद आबिद ने शिक्षक विधायक नागो गाणार से मिलकर आनेवाले विधानसभा शीतसत्र में यह मांग उठाने के लिए प्रस्ताव दिया है.

मिस्टा कई बार कह चुकी है कि राज्य सरकार ने अगर निधि नहीं दी तो वे अगले वर्ष एडमिशन नहीं देंगे. पिछले वर्ष भी मिस्टा ने इसको लेकर पत्र परिषद भी की थी. लेकिन राज्य सरकार के कानों में जु तक नहीं रेंगी. इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार गरीब बच्चों के शिक्षा के अधिकार के प्रति कितनी गंभीर है.

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इस बारे में मिस्टा संयोजक व जिला सचिव कपिल उमाले ने जानकारी देते हुए बताया कि शिक्षणाधिकारी दीपेंद्र लोखंडे की ओर से केवल 3 प्रतिशत की दर से ही नागपुर जिले की 621 स्कूलों को निधि वितरित की गई है. जबकि राज्य सरकार को सभी 621 स्कूलों को बांटने हैं 86 करोड़ 44 लाख 7 हजार रुपए. अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि इतना बकाया होने पर आरटीई के तहत विद्यार्थियों को एडमिशन कैसे दिया जाए. उन्होंने बताया कि एसोसिएशन की ओर से शिक्षक विधायक नागो गाणार को यह मुद्दा विधानसभा में उठाने की मांग की है. उन्होंने भी इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए शीतसत्र में यह मांग उठाने की हामी भरी है.

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