नागपुर: नागपुर के नगर निगम बस संचालकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल ने शहर की सामान्य बस सेवा पर प्रभाव डाला। मंगलवार को कई बसें जहां-तहां खड़ी रहीं। हड़तालियों ने सारी बसों के पहियों की हवा भी निकाल दी ताकि कोई और उनका संचालन न कर सके। हड़ताल करने वाले बस संचालकों की सरकार से मांग है कि उनका न्यूनतम वेतन लागू किया जाए। इसके अलावा एक जांच कमिटी गठित की जाए जिसमें सभी बस संचालकों और सहचालकों को शामिल किया जाए। जो भी नगर निगम की बसों का संचालन करने वाले कर्मचारी हैं उन्हें नियमित किया जाए।
शिवसेना से संबद्ध भारतीय कामगार सेना नागपुर यूनियन के बैनर तले बस संचालकों और सहचालकों ने नगर आयुक्त अश्विन मुद्गल को पिछले महीने मांग का ज्ञापन सौंपकर 19 फरवरी से हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थी। इस मामले में नगर निगम, परिवहन विभाग और श्रम विभाग के अधिकारियों के साथ सभी संघ के पदाधिकारी की बातचीत हुई लेकिन यह वार्ता असफल रही।
इस समय 4 बस संचालकों की नागपुर के 123 रूटों पर 375 बसें चलती हैं। ये बसें ऐड हॉक पर रखे गए ड्राइवर्स और कंडक्टर चलाते हैं। यह बस सेवा मंगलवार को प्रभावित रही। अधिकांश बस स्टॉप पर खड़ीं रहीं। हड़तालियों ने विरोध में इन बसों के पहियों की हवा निकाल दी।
मुख्य बस अड्डे मोर भवन, महाराजबाग रोड, धीरन कन्या वीरान नजर आए। कामगार सेना का दावा है कि 4 बस संचालकों के सौ फीसदी ड्राइवर और कंडक्टर्स और दो टिकटिंग एजेंसियों के कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए। समन्वयक बंदू तालवेकर ने बताया कि उन लोगों ने पहले ही नगर निगम के अधिकारियों को अगाह किया था। जब तक उन लोगों की मांग पूरी नहीं होगी हड़ताल जारी रहेगी।
सिटी बसों के संचालन न होने से ऑटोरिक्शा सहित कई प्राइवेट वाहनों ने यात्रियों से मनमाना किराया वसूला। ऐप के आधार पर चल रही कैब्स की भी खासी डिमांड रही।
नगर आयुक्त अवनीश मुद्गल ने कहा कि नगर निगम ने पहले ही महाराष्ट्र सरकार से हड़तालियों पर आवश्यक सेवाओं रखरखाव अधिनियम के तहत कार्यवाई करने की मांग की है। विभाग ने पहले ही से पुलिस को 15 असामाजिक तत्वों के नाम भी भेज दिए हैं जो बस कर्मचारियों को भड़का रहे हैं। चारों बस संचालकों और दो टिकटिंग एजेंसियों को पहले से ही लागू न्यूनतम वेतन दिया जा रहा है।