Published On : Fri, Mar 30th, 2018

सकपकाए मुकुल हुए रामटेक लोस में सक्रिय

Advertisement


नागपुर: गल्ली से लेकर दिल्ली तक इन दिनों यही चर्चा है कि राऊत को पदोन्नति दिए जाने से प्रस्थापित नेता मुकुल वासनिक सकते में आ गए हैं. अपने चुनावी क्षेत्र में पूरी तरह निष्क्रिय मुकुल की अचानक सक्रियता से अमूमन सभी कांग्रेसी अचंभित दिखाई दिए. मालूम हो कि जैसे ही नितिन राऊत को कांग्रेस ने एससी प्रकोष्ठ का प्रमुख घोषित किया, सबसे पहले कागजों पर प्रस्थापित कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक के हाथ पांव फूल गए. आज तक कभी अपने लोकसभा क्षेत्र रामटेक में बैठक न लेने वाले मुकुल गुरुवार को जिला कांग्रेस में पदाधिकारियों की बैठक लेकर सक्रियता दिखाने की कोशिश की. बैठक में उपस्थित कार्यकर्ताओं को छोड़ कोई कांग्रेसी नहीं था. प्रथम कतार में बैठने वाले अधिकांश कांग्रेसी स्थानीय नेता सत्ताधारी भाजपाई के लाभार्थी हैं. मौका दर मौका सभी सत्तापक्ष के नेताओं के साथ मंत्रियों के इर्द-गिर्द अक्सर दिखाई देते रहे हैं. फिर मुकुल के करीबी हो या फिर कामगार नेता हो.

कल की बैठक में मुकुल ने जानकारी दी कि मूलक जब भी बैठकें लेते थे, उन्हें आमंत्रित नहीं करते थे, बाद में बैठक की जानकारी जरूर दे देते थे. वजह साफ़ थी कि जिले में कांग्रेस की कमान संभालने के लिए मूलक के पास मुकुल से बढ़िया पर्याय सुनील केदार है. क्यूंकि केदार साल के ३०० दिन जिले में सक्रिय रहते हैं. मूलक ने बैठक बुलाई और उसमें मुकुल या केदार ही आते थे. दोनों एक दूसरे से परहेज कर दूरी बनाए रखते हैं.

बैठक में उसके बाद नाना गावंडे पर कांग्रेस को डुबाने का आरोप लगा, तो उन्होंने अपना पल्ला झड़ते हुए विरोधियों की बोलती बंद करने के उद्देश्य से सुनील केदार की पोल खोल दी. केदार हमेशा कांग्रेसियों के विरोध में रहकर सत्ताधारी भाजपाइयों की स्वार्थपूर्ति के लिए लाभ पहुंचाते रहे. दूसरी ओर यह भी कड़वा सत्य है कि गावंडे जिले में दबदबा कायम रखने के लिए जिले का कोई भी सांसद, कोई भी पक्ष का जिलाध्यक्ष या कोई भी पालकमंत्री हो उससे ‘फेविकोल के मजबूत जोड़’ की तर्ज पर आज तक चिपके दिखे. उक्त घटनाक्रम को केदार समर्थक राऊत ने सार्वजानिक कर कांग्रेस की छवि को धूमिल करने की कोशिश की है. कार्यकर्ताओं की कांग्रेस अध्यक्ष से मांग है कि उक्त करतूतें करनेवाले पर कार्रवाई की जाए.

Gold Rate
Thursday 09 Jan. 2025
Gold 24 KT 78,700 /-
Gold 22 KT 73,200 /-
Silver / Kg 91,200 /-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

मुकुल जब बुलढाणा से लोक सभा चुनाव लड़ा करते थे, वे सभी पक्षों से समझौता कर लोस में मदद के एवज में अन्य चुनावों में हस्तक्षेप न कर या फिर गायब रहकर बदले में मदद करते रहे. नतीजा बुलढाणा छोड़ने की नौबत आन पड़ी थी.

बुलढाणा से नकारे गए अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव और रामटेक लोकसभा के निवर्तमान सांसद मुकुल वासनिक रामटेक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पहली मर्तबा चुने गए. इस कार्यकाल के 5 वर्ष में 1500 दिन इलाके से गायब थे. जब दोबारा रामटेक से लड़े तो ‘केदार एंड कंपनी’ ने साथ नहीं दिया, नतीजा लंबे अंतर से पराजित हो गए.आदतन वासनिक ने चापलूसों को रामटेक लोस ने तवज्जों दी और उन्हें ही लाभप्रद पदों पर आसीन किया. आज तो यह आलम है कि रामटेक लोस के कांग्रेसी यही चाहते हैं कि लोस क्षेत्र में शत- प्रतिशत दिखने और उत्थान करने वाले उम्मीदवार को कांग्रेस मौका दे, पुनः मुकुल को दिया तो घर बैठ जाएंगे जिले के कांग्रेसी.

उल्लेखनीय यह है कि मुकुल जनता और कार्यकर्ताओं के हुजूम से असहज महसूस करते हैं, ज्यादा जनता की मांग और सलाह मिले तो झल्ला जाते हैं. इसलिए ऐसे कांग्रेसी को पक्ष ने मैनेजर ही बनाये रखना चाहिए, वर्ना झारखंड में विस चुनाव के दौरान मुकुल के साथ हुए हादसे की पुनरावृत्ति हो सकती है.

Advertisement