नागपुर: सरकारी अस्पताल और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र (पीएचसी) के हालात किसी से छुपे नहीं है। इसी परिप्रेक्ष में शहर के इंदिरा गांधी सरकारी अस्पताल (मेयो) में क्या हालात है ये जानने के लिए नागपुर टुडे टीम पहुंची। इस भेंट के दौरान कुछ गंभीर बातें सामने आयीं। जो हम एक न्यूज-सीरीज के माध्यम से आपके समक्ष अपनी रिपोर्ट के माध्यम से प्रस्तुत करेंगे।
भीषण गर्मी में पीने का पानी तक मयस्सर नहीं
‘मेयो’ में इलाज के लिए आनेवाले मरीज और उनके रिश्तेदारों के लिए पेयजल की क्या सुविधा है, इसकी जाँच करने के लिए बुधवार को ‘नागपुर टुडे’ टीम सर्जिकल वार्ड पहुंची। इस वार्ड में अस्थिरोग (ऑर्थोपेडिक), कान-नाक-गलारोग, नेत्ररोग (आय) तथा बर्न पेशंट्स के लिए इलाज कक्ष हैं। यहाँ नीचे से ऊपरी मंजिल तक एक-दो वाटर कूलर छोड़ दें तो बाकी सभी RO वाटर कूलर बंद पड़े थे। एक वाटर कूलर में नल के निचे लगी प्लेट में तो खाने की जूठन फंसने के कारण पानी बह रहा था। लेकिन किसी सफाई कर्मचारी या गार्ड का इस ओर ध्यान नहीं था। इन वजहों से जलती धूप में मरीज और उनके रिश्तेदारों को काफी तकलीफ उठानी पड़ रही है। क्यूंकि उन्हें पिने का पानी लाने के लिए वार्ड से बाहर निकलकर कुछ दूर चलकर जाना पड़ता है।
मरीजों के रिश्तेदारों से इस बारे में बात करने पर एक वृद्ध व्यक्तिने बताया की, केवल मरीज को सही वक्त पर पीने का पानी मिल सके इसलिए हम दो लोग हॉस्पिटल में रुके हैं। वहीँ दूसरे शख़्स ने बताया की, वार्ड में रखे वाटर कूलर का पानी पीने लायक नहीं हैं। साथ ही यह भी पता चला है कि, अस्पताल में पानी की टंकिया और वाटर कूलर पिछले कई माह से साफ़ नहीं किये गए। इसी कारण वार्ड के बाहर स्वयसेवी संस्थाओं की ओर से ठंडे ‘पानी-प्याऊ’ केंद्र शुरू किये गए हैं। इनकी वजह से पेशंट्स और उनके परिवारजनों को बड़ा सहारा मिला है।
सर्जिकल वार्ड के सामने दीनदयाल थाली केंद्र से सटकर ‘अग्रवाल ‘ नामक व्यक्ति कि संस्था ने RO वाटर कूलर लगाया है। इसके के साथ ओपीडी के सामने अज्ञात व्यक्ति की ओर से प्रतिदिन ठंडे पानी की कैन्स रखी जाती हैं,तथा मेयो के मुख्य प्रवेशद्वार के ठीक बायीं तरफ मामिडवार नामक व्यक्ति की संस्था ने ठंडे पेयजल का इंतजाम किया है। यहाँ तीन चार बड़े मटकों में पानी भर के रखा गया है, जो ठंडा होने के बाद कैन्स में भरा जाता है। पास के एटीएम गार्ड ने बताया की, यहाँ से प्रतिदिन कई लोग बोतलों में, बर्तनों और घड़े में पानी भर के ले जाते हैं।
मेयो में इलाज के लिए आनेवाले मरीज एवं उनके परिजनों के लिए स्वच्छ पेयजल की सुविधा उपलब्ध करने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन की है। लेकिन सच्चाई इसके ठीक विपरीत है। दो घूंट पानी के लिए जलती धूप का वार झेलते मरीज एवं उनके सगे सम्बन्धियों के लिए क्या अस्पताल प्रशासन एयर कंडीशनर की ‘शीतनिद्रा’ से जागेगा ?
—Swapnil Bhogekar