नागपुर: यूपीएससी (केंद्रीय लोकसेवा आयोग) घोषित परीक्षा परिणामों में नागपुर सहित विदर्भ के परीक्षार्थी चमके। प्राथमिक जानकारी अनुसार नागपुर के अरचित वीरेन चांडक को विदर्भ से टॉपर माना जा रहा है। उन्हें देश में 184वीं रैंक मिली है। इसके अलावा नागपुर के आईएएस प्रवेश पूर्व प्रशिक्षण केंद्र के चार विद्यार्थियों ने बाजी मारी। उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों में आशीष येरेकर (456 रैंक) ने नागपुर केंद्र से प्रथम क्रमांक हासिल किया। इसी तरह विराज तिडके (497), नीलेश तांबे (733), निखिल दुबे (926) रैंक लेकर सफल हुए हैं।
सबसे कठिन समझी जाने वाली परीक्षा में नागपुर सहित विदर्भ का प्रतिशत बढ़ा है। महाराष्ट्र में कुल छह आईएएस प्रवेश पूर्व प्रशिक्षण केंद्र शुरू किए गए हैं। इसमें नागपुर का केंद्र भी शामिल है। इन केंद्रों से अच्छे नतीजे आ रहे हैं। इस बार यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों में महाराष्ट्र के विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है। विशेष यह कि नागपुर के आईएएस अधिकारी डॉ. संजय मुखर्जी, अतुल पाटणे, सचिन कुर्वे, दिनेश वाघमारे विविध बड़े पदों पर कार्यरत हैं। संजय मुखर्जी व सचिन कुर्वे नागपुर के जिलाधिकारी भी रह चुके हैं। अतुल पाटणे मनपा में अतिरिक्त आयुक्त और दिनेश वाघमारे ने नागपुर सुधार प्रन्यास के सभापति में कार्य किया है।
देश की सेवा करना चाहते हैं अरचित
23 वर्षीय अरचित चांडक ने बी.पी. विद्या मंदिर, सिविल लाइंस से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की है। नागपुर में आईआईटी जेईई 2012 के टॉपर भी रहे। आगे की पढ़ाई उन्होंने दिल्ली में पूरी की। आईआईटी दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेज्युएशन 2016 में पूरा किया है। अरचित को खेलों में भी महारत हासिल है। वे नेशनल स्केटिंग चैंपियन रह चुके हैं। सिल्वर मेडल विजेता थे। इंटरनेशनल चेस्ट प्लेयर भी हैं। लगभग 200 पुरस्कार उनके नाम हैं। अरचित के पिता इंजी. वीरेन चांडक और सीएमए छाया चांडक दोनों नागपुर टेक्नो मार्केटिंग प्रा. लि. एमआईडीसी हिंगना में डायरेक्टर हैं। अरचित का यूपीएससी के लिए यह दूसरा प्रयास था।
पहले प्रयास में वे इंटरव्यू तक पहुंचे थे। इसके बाद वे निरंतर यूपीएससी की तैयारी में लगे रहे। वे अभी दिल्ली में ही हैं। दैनिक भास्कर से बात करते हुए अरचित चांडक ने कहा कि वे पहले से सिविल सर्विसेस में जाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की। रोजाना 8 से 10 घंटे पढ़ाई करते थे। थ्री-आर यानी रिमेम्बर, रिवाइज्ड, रिप्रोड्यूस को ध्यान में रखा। कभी-कभी लगता था कि क्या कर रहे हैं, लेकिन आत्म प्रेरणा से यह संभव हो पाया। अरचित कहते हैं कि आईपीएस बनकर वे देश सेवा करना चाहते हैं। यह सर्विस है, सिर्फ जॉब नहीं है। देश के लिए कुछ करना ही उनका मकसद है। देश में कानून-व्यवस्था एक बड़ा विषय है। वे अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, टीचर और शुभचिंतकों को देते हैं।
गलतियों से सीखने को मिला : विराज
मूलत: भंडारा निवासी विराज तिडके ने पुणे के गवर्मेंट इंजीनियरिंग कॉलेज से डिग्री हासिल की। विराज ने अब तक 6 बार परीक्षा दी। इनमें से 3 बार वे इंटरव्यू तक पहुंचे थे, लेकिन सफलता से चूक गए। मुख्य परीक्षा में जियोग्राफी विषय लेने वाले विराज ने दिल्ली से भी कोचिंग प्राप्त की। विराज ने बताया कि हार्ड वर्क और धैर्य के साथ बनाई गई नीति ही काम आती है। 3 बार इंटरव्यू से लौटने के बाद गलतियों में सुधार के बारे में सीखा। गलतियों ने ही सुधार का अवसर दिया। विराज के पिता निवृत शिक्षा अधिकारी और मां गृहिणी हैं।
आईएमटी की अनु देश में द्वितीय
दिल्ली यूनिवर्सिटी से भौतिकी में बीएससी ऑनर्स करने वाली अनु कुमारी ने देश में द्वितीय और महिलाओं में अव्वल स्थान हासिल किया है। अनु ने आईएमटी नागपुर से एमबीए वित्त व विपणन में डिग्री हासिल की है।