नागपुर : नागपुर महानगरपालिका के विद्यालयों के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षित कर मनपा का नाम रौशन करने के साथ स्थाई पूर्णकालीन शिक्षकों की भांति शालेय सभी कार्य करने के अलावा शाला के लिए विद्यार्थी जुटाने वाले कनिष्ठ व माध्यमिक मनपा शाला के लगभग ४ दर्जन अस्थाई शिक्षकों को मनपा ने बेरोजगार कर दिया हैं.ये सभी शिक्षकों को प्रत्येक घंटे या पीरियड के हिसाब से वेतन दिया जाता था.
ज्ञात हो कि प्रशासन ने कल नए सिरे से स्थाई शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया।इन शिक्षकों के हरकत में आते ही इन्हें भी नए सिरे से निवेदन करने का निर्देश दिया गया.हालांकि नए सिरे से होने वाली भर्ती भी मात्र १० माह के लिए ही होंगी,वह भी अस्थाई।सिर्फ इनका वेतन श्रेणी काफी उन्नत होंगा।नए ४४ शिक्षक की भर्ती से पुराने ४२ शिक्षक को घर बैठने का डर समाया हुआ हैं,इस चक्कर में वे कल दोपहर महापौर और स्थाई समिति सभापति से मुलकात कर न्याय हेतु गुहार लगाई।
बेरोजगार होने के कगार पर सकपकाए शिक्षकों ने जानकारी दी कि वर्ष २००९ से वे प्रत्येक घंटे ३५ से ४५ रूपए मानधन पर मनपा शाला के विद्यार्थियों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी निभा रहे.सभी ४२ शिक्षक उच्च शिक्षित और शैक्षणिक कार्य में गुणवत्ता सूची में शीर्ष पर आने के बाद ही उनका साक्षात्कार लेकर उन्हें मनपा में अस्थाई शिक्षक की नौकरी दी गई.अब स्थाई वेतन देने के तर्ज पर नए सिरे से ४४ शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में उन्हें अनुभव के आधार पर लाभ देने के बजाय पुनर्नियुक्ति प्रक्रिया में भाग लेने की सलाह दी गई.
कल जारी किये विज्ञापन में गणित विषय के शिक्षक के लिए आवेदन मंगवाए गए लेकिन अंग्रेजी,विज्ञानं ,उर्दू विषय के शिक्षक भर्ती का विज्ञापन में समावेश नहीं किया जाना समझ से परे हैं.इन्हीं अस्थाई शिक्षकों की वजह से मनपा कनिष्ठ और माध्यमिक विद्यालय में मेरिट में विद्यार्थी आये,जिनके लिए मनपा प्रशासन और सत्तापक्ष ने उनका सत्कार भी कर चुकी हैं.वे ४२ शिक्षक मनपा शाला,महाविद्यालय के लिए विद्यार्थी जोड़ना,शालेय सभी प्रकार के कार्य करने के साथ विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण देते आ रहे थे.
वहीं दूसरी ओर मनपा के कई दर्जन स्थाई शिक्षक अपने मनचाहे विभागों में पिछले कई दशक से तैनात हैं.इन्हें संरक्षण सफेदपोशों ने दी रखी हैं.इन पर कड़क कार्रवाई करते हुए मूल विभाग में भेजने का पहल आजतक नहीं किया गया.मनपा शिक्षण विभाग की जर्जर हालात सुधारने हेतु किसी भी पूर्व मनपायुक्त ने कभी भी ठोस कदम नहीं उठाया।
बेरोजगार होने के कगार पर पहुँच चुके उक्त ४२ शिक्षकों की नए सिरे से शिक्षण सह अन्य नौकरी पाने की उम्र पार हो चली हैं.इनकी पहचान शिक्षक के रूप में बन चुकी है,अन्य किसी पेशें में इन्हें जाने में हिचकिचाहट भी हो रही हैं.अल्प मानधन पर सेवा देने वाले उक्त ४२ अस्थाई शिक्षकों अब जबकि इनके लिए ‘फिक्स्ड सैलरी’ की योजना लाई गई तो इन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा हैं.
उल्लेखनीय यह हैं कि मनपा प्रशासन,सत्तापक्ष के साथ मनपा शिक्षक संघ भी उक्त ४२ अस्थाई शिक्षकों से किनारा कर लिया हैं.संघ का मानना हैं कि वे स्थाई शिक्षक नहीं हैं,इसलिए वे उनका साथ नहीं दे सकते हैं.
उक्त ४२ अस्थाई शिक्षकों की नए मनपायुक्त वीरेंद्र सिंह से जायज मांग यह हैं कि अनुभव के आधार पर उक्त भर्ती में पहले उन्हें अवसर दिया जाये,शेष रिक्त पदों के लिए नई भर्ती प्रक्रिया से चयन किया जाये।