नागपुर: बुधवार से उपराजधानी में राज्य का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है। इतिहास में ये दूसरा मौका है जब नागपुर इस सत्र का गवाह बनेगा। समझा जा रहा है की ये अधिवेशन नागपुर में राज्य सरकार का आखिरी अधिवेशन हो सकता है जिसे देखते हुए इसे घोषणाओं का सत्र भी कहाँ जा रहा है। विदर्भ की भूमि पर एक ओर जहाँ सरकार इस अधिवेशन के माध्यम से जनता को ख़ुश करने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहेगी। दूसरी तरफ विपक्ष सरकार पर हर मोर्चे पर दबाव बनाने का प्रयास करेगा।
भाजपा के साथ निशाने पर सत्ता में शामिल शिवसेना भी होगी। विपक्ष ये लगातार आरोप लगाता रहा है की शिवसेना का विरोध दिखावा है। मंगलवार को सरकार द्वारा अधिवेशन पूर्व दी जाने वाली चाय पार्टी का विपक्ष ने बहिस्कार किया। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण विखेपाटील ने सरकार को हर मोर्चे पर विफ़ल करार दिया।
पाटिल के निशाने पर शिवसेना ज़्यादा रही जो सरकार में शामिल होने के बाद भी कई बार सरकार के विरोध में खड़ी हो जाती है। भाजपा-सेना के इस रिश्ते पर व्यंग करते हुए पाटिल ने कहाँ की इन दोनों का रिश्ता क्या है ? इसका आभास मुझे हालही में मनाये गए वटसावित्री उत्सव के दिन हुआ। इस दिन पत्नी सात जन्मों तक अपने पति को हासिल करने के लिए उपवास करती है।
भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी के बीच रिश्ता भले कैसा भी हो लेकिन उसे निभाना पड़ता है। कुछ ऐसा ही हाल इन दोनों का है। शिवसेना सड़क पर कुछ और कहती है सरकार को कोसती है लेकिन सरकार में बने भी रहना चाहती है। पाटिल ने कहाँ अब दिखावे को छोड़कर शिवसेना को भाजपा के नाम का मंगलसूत्र पहन लेना चाहिए। शिवसेना की आबरू अब चली गई है।
मानसून सत्र नागपुर में लिए जाने के सरकार के फ़ैसले पर पाटिल ने कहाँ ये सरकार मुहूर्त को बहुत मानती है हो सकता है की सरकार अपने अनुकूल मुहूर्त के हिसाब से अधिवेशन नागपुर में ले रही है। ये सरकार का विशेषाधिकार है पर कम से कम काम करने की इच्छशक्ति और नियोजन सरकार के पास होना चाहिए जो दिखाई नहीं देता। शिवाजी के नाम से घोषित योजना के नाम पर किसानों को बेवकूफ बनाया गया। राज्य में आज भी हर दिन 10 किसान आत्महत्या कर रहे है। बीते चार वर्षो में इस सरकार ने घोषणाओं के नाम पर महज अफ़वाह फैलाई। मराठा,मुस्लिम,धनगर,शिवाजी स्मारक के नाम पर बस कोरे आश्वाशन दिए गए। सरकार भले कुछ भी सोचे लेकिन इतना तय है 2 अक्टूबर 2019 के बाद ये सरकार नहीं रहेगी।
बिना सीएम के हस्तक्षेप के सिडको में हुआ भ्रस्टाचार हो ही नहीं सकता
सिडको में बीजेपी विधायक प्रसाद लाड़ के करीबी को सिडको की ज़मीन बेहद काम मूल्य में दिए जाने के मामले में सीधे सीएम के शामिल होने का आरोप विपक्ष द्वारा लगाया गया है। राधाकृष्ण विखेपाटील ने बताया की ये सरकार क्लीनचिट सरकार है इसलिए इस पर भरोषा नहीं किया जा सकता। कांग्रेस की तरफ से जल्द अदालत में इस मामले को लेकर जनहित याचिका दाखिल की जाएगी। जिसमे हाईकोर्ट की निगरानी में जाँच की माँग उठाई जाएगी।
बीजेपी का नारा बिल्डरों का साथ पार्टी फंड का विकास – मुंडे
विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष धनंजय मुंडे ने नागपुर में अधिवेशन लेने के सरकार के फ़ैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहाँ की सरकार सिर्फ ये अधिवेशन ही नहीं आगे के अन्य अधिवेशन यही ले उनकी कोई आपत्ति नहीं। मगर सरकार को इस बाबत स्पस्टीकरण देना चाहिए। नागपुर में मूसलाधार बारिश हो रही है। इस अधिवेशन के दौरान भी अश्वशनों की बारिश होगी ये तय है। ट्वीटर पर एक्टिव रहने वाले मुख्यमंत्री ने कर्ज की एवज में किसान की बीवी से शारीरिक सुख की माँग करने की घटना पर ट्वीट नहीं किया। नतीजा कल ही ऐसा एक और मामला सामने आया। सरकार अगर ऐसे संवेदनशील मसले पर कार्रवाई की नीयत दर्शाती को ऐसा व्यवहार किसानों से करने की हिम्मत किसी की न होती।
शिवसेना नाणार प्रकल्प न लगाने देने की चेतावनी दे रही है दूसरी तरफ सरकार इस प्रकल्प का काम करने वाली अर्माको कंपनी से करार कर चुकी है। इस कंपनी ने इंडोनेशिया में ऐसे की प्रकल्प लगाने का प्रपोज़ल वहाँ की सरकार को दिया था। जिसे वहाँ की सरकार ने ख़ारिज कर दिया। राज्य में बीजेपी सरकार का नारा है बिल्डरों का साथ पार्टी फंड का विकास इसी के तहत निजी बिल्डरों को फ़ायदा पहुँचाया जा रहा है। नागपुर क्राईम कैपिटल बन चुका है। शहर की सुरक्षा-व्यवस्था का मुद्दा हम सदन में उठाते है तो मुख्यमंत्री हम पर नाराज़ होकर कहते है की हम उनके शहर को बदनाम कर रहे है लेकिन हकीकत में सीएम की अपनी सिटी की सुरक्षा व्यवस्था खस्ती है जबकि खुद गृहमंत्रालय उनके पास है।