नागपुर: सीएम सिटी को स्मार्ट बनाने के साथ ही क्लीन सिटी बनाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है लेकिन दूसरी ओर शहर के भीतर मवेशीपालक सड़कों को तबेला बनाकर अपनी मनमानी कर रहे हैं. शहर में कुल 1181 पशुपालक हैं जो गाय-भैंस पाल रहे हैं. उनमें से करीब 60 फीसदी ने सड़कों, सार्वजनिक मैदानों, गलियों पर कब्जा जमाया हुआ है. इन लोगों ने सड़कों के किनारे गाय-भैंस बांधने के खूंटे गाड़ रखे हैं और वहीं मवेशी के चारा-पानी की टंकी तक लगा दी है. कुछ ने बाजार क्षेत्रों में गलियों पर अतिक्रमण कर रखा है. सड़कों पर बने तबेले आसपास रहने वाले नागरिकों के लिए सिरदर्द बन चुके हैं लेकिन झगड़ा मोल नहीं लेने के चक्कर में वे खुलकर इसका विरोध भी नहीं कर पाते. आश्चर्य यह है कि मनपा का संबंधित विभाग आंखें मूंदकर बैठा हुआ है और कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
फैला रहे गंदगी
सीताबर्डी में महाबैंक चौक समीप निडोज बार के सामने नाग नदी के किनारे वाली सड़क पर वर्षों से सड़क को तबेला बना कर रखा गया है. इस मार्ग पर दोपहिया वाहनों की भारी भीड़ रहती है. सड़क पर बंधे मवेशी रास्ता जाम कर रहे हैं. इतना ही नहीं, मवेशियों द्वारा गंदगी भी की जा रही है. केवल यहीं नहीं, पश्चिम नागपुर में तो गोकुलपेठ बाजार इलाके में एक गली को तबेला बनाकर रखा गया है.
यहां एक पशुपालक 50-60 गायें बांधता है और नागरिकों को इस गली का उपयोग ही बंद करने को मजबूर होना पड़ा है. पूरी दादागीरी से इस सरकारी गली पर तबेला संचालक ने अतिक्रमण कर रखा है. ऐसा ही नजारा फुटाला लेक से कैम्पस चौक की ओर जाने वाले रास्ते पर नजर आता है जहां भैंस व गाय पालने वालों ने सड़कों व गलियों पर डेरा जमा रखा है. ये तो सिर्फ कुछ उदाहरण हैं. मनपा के पशु विभाग के अनुसार शहर में 1181 पशुपालकों के तबेले हैं. अधिकांश के पास पशु पालने के लिए उपयुक्त जगह नहीं है. उन्होंने सड़कों व गलियों पर ही कब्जा जमाया है.
नंदग्राम योजना अटकी
कुछ वर्ष पूर्व मनपा ने शहर के सभी तबेलों को शहर सीमा से बाहर स्थानांतरित करने के लिए नंदग्राम योजना का प्रस्ताव तैयार किया था. जिसके तहत सभी मवेशीपालकों को शहर के बाहर एक ही जगह पर शिफ्ट किया जाना था लेकिन आज तक उसका कुछ नहीं हुआ. योजना तो ठप ही पड़ गई लेकिन शहर में जो मवेशीपालक सड़कों, गलियों और सार्वजनिक जगहों पर कब्जा कर अपना धंधा जमाए बैठे हैं, ऐसे के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं की जा रही, यह आश्चर्य की बात है.
मनपा के अधिकारियों का कहना है कि नंदग्राम योजना कुछ तकनीकी कारणों के कारण लेट हुई है. पहले जो प्रस्ताव तैयार किया गया था, उसके तहत मवेशीपालकों को जमीन पर निर्माण कार्य कर दिया जाना था लेकिन वह कास्टली पड़ रहा था. पालकों को देने के बाद उनसे वार्षिक किराया भी लिया जाना था. कुछ तकनीकी कारणों से अब नंदग्राम की नई डिजाइन के साथ प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसे मंजूर करने के लिए रखा जाएगा. लेकिन वर्षों बीत गए अब तक कुछ नहीं किया गया. न ही विभाग द्वारा सड़कों व गलियों पर तबेले चला रहे पालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी नहीं कर रहा है.