नागपुर: केएसएल एंन्ड इंडस्ट्रीज कंपनी के एम्प्रेस मॉल में अवैध रूप से बिजली निर्माण परियोजना शुरू किए जाने की जानकारी जनहित याचिकाकर्ता चंदू लाडे व राकेश नायडू ने बुधवार को मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ को दी. इस पर न्यायालय ने तीन अधिकाऱियों को परियोजना का निरीक्षण कर 5 सितंबर तक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया.
मुख्य स्फोटक नियंत्रक, महावितरण के मुख्य अभियंता व सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग के विद्युत निरीक्षक जैसे अधिकारियों को निरीक्षण की जबाबदारी सौंपी गई है. सरकारी बिजली महंगी पड़ती है इसलिए केएसएल कंपनी ने खुद का बिजली निर्माण परियोजना खड़ी की है. इस परियोजना के लिए जरूरी अनुमतियां नहीं है. परियोजना से तैयार होनेवाली बिजली मॉल के दुकानदारों को बढ़ते दरों पर बेची जाती है.
इससे कंपनी को अच्छा खाया मुनाफ़ा मिलता है. बीते साल मार्च में कंपनी को एसएनडीएल के डेढ़ करोड़ रुपए का बिजली बिल आया था. लेतिन इस बार मार्च में उन्हें केवल 40 लाख रुपए का बिजली बिल आया. कंपनी के अवैध बिजली परियोजना से सरकार को आर्थिक नुकसान होने की बात याचिकाकर्ता ने न्यायालय को प्रतिज्ञापत्र के जरिए बताया. न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच कराने के आदेश दिए. मामले में न्यायमूर्तीद्वय भूषण धर्माधिकारी व मुरलीधरन गिरटकर के समक्ष सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विवेक भारद्वाज ने पक्ष रखा.
अन्य अनियमितताएं
एम्प्रेस मॉल बनाते समय नियम और कानून को ताक पर रखा गया. एम्प्रेस मॉल की इमारत की रूपरेखा नियमानुसार नही है. कुछ जगह ठिकाणी अवैध निर्माण कार्य किया गया है. अग्निशमन यंत्रणा नियमानुसार नहीं होने से मनपा के अग्निशमन विभाग ने एम्प्रेस मॉल को असुरक्षित घोषित किया है. इसके अलावा एम्प्रेस मॉल में अनेक सुरक्षाविषयक सुविधाएं नहीं होने की बात याचिकाकर्ता ने कही है.