नागपुर – लक्ष्मी की कृपा सदा रहे ये कौन नहीं चाहता। हर किसी का ख़्वाब होता है की नोटों की हरियाली सदा उसके जीवन में बनी रही लेकिन क्या नोटों का अधिक इस्तेमाल मानवी शरीर के लिए खतरनाक भी हो सकता है ? यह सवाल चौंकाने वाला लग सकता है लेकिन नोटों पर किये गए अध्ययन की विभिन्न रिपोर्टो को माने तो न सिर्फ खतरनाक बल्कि कई बार जानलेवा भी साबित हो सकता है। केंद्र सरकार की संस्था वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अधीन काम करने वाली संस्था इंस्टिट्यूट ऑफ़ गेनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी की रिसर्च के मुताबिक नोटों का अधिक इस्तेमाल बेहद खतरनाक है। इंस्टिट्यूट की रिसर्च बताती है की बाजार में इस्तेमाल में लाये जाने वाले नोटों में 78 तरह के बैक्टीरिया पाए गए हैं। अधिकांश नोटों में पेट खराब होना, टी.बी.और अल्सर जैसी अन्य बीमारियां फैलाने के लक्षण मिले हैं। शोध में कहा गया है की करेंसी नोटों के द्वारा बीमारिया फैलने का खतरा सदा बना रहता है।
कई मीडिया रिपोर्ट में भी इस तरह के खतरे से आगाह किया गया है। सिर्फ सरकारी संस्थान ही नहीं कई विष्वविद्यालयों की लेबोरेट्री में भी इस संबंध मे शोध कियागयाहैइन्हीशोधमेंसेएक जर्नल ऑफ़ करंट माइक्रोबायोलॉजी एंड एप्लाइड साइंस ने वर्ष 2016 में अपने एक शोध जो उन्होंने तिरुनवेली मेडिकल कॉलेज,
तमिलनाडु मेंकिया था। इस शोध के दौरान डॉक्टर, बैंक, स्थानीय बाज़ार, कसाई, विद्यार्थी और गृहणियों से लिए गए नोटों का इस्तेमाल किया गया। 120 नोटों में किये गए शोध में 86.4 प्रतिशत नोट दूषित पाये गए। जिनके इस्तेमाल से खतरनाक बीमारियाँ होने की संभावना व्यक्त की गई। इन नोटों में पेशाब, सॉंस लेने में परेशानी, सेप्टिसीमिया, स्किन इन्फेक्शन, मेननजाइटिस आदि बीमारी फैलाने के कीटाणु पाए गए।
नोटों में मौजूद इन खतरों को देखते हुए इस पर सरकार से स्पस्टीकरण माँगा जा रहा है। कई संस्थाओं ने सरकार से इन शोधों की सच्चाई पर रुख स्पष्ट करने की माँग उठाई है। व्यापारियों की संस्था कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने भी केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नड्डा एवं केंद्रीय विज्ञानं एवं प्रोधोगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर ऐसी ही माँग की है। संस्था के अध्यक्ष बी सी भारतीय के मुताबिक नोटों से जुडी सच्चाई देश की जनता के सामने आनी चाहिए। सरकार को इस संबंध में जाँच दल का गठन का ऐलान भी करना चाहिए।