Published On : Wed, Sep 5th, 2018

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट तो लेकर बिल्डरों के प्रति सुको सख़्त

नागपुर: सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की प्रभावी नीति न हो पाने की वजह से हालही में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश,उत्तराखंड और चंडीगढ़ के साथ महाराष्ट्र में बिल्डर द्वारा बनाई जाने वाली रिहायशी ईमारतों के निर्माण पर रोक लगा दी है। देश की सर्वोच्च अदालत ने आगामी 9 अक्टूबर तक निर्माण पर प्रतिबंध लगाया है। इस प्रतिबंध की वजह से बिल्डरों का टेंशन बढ़ गया है क्यूँकि इसकी वजह से राज्य में शुरू हजारों प्रोजेक्ट का काम ठप्प पड़ने की संभावना है। एससी के इस प्रतिबंध में महाराष्ट्र भी शामिल है लेकिन राज्य सरकार द्वारा आश्वस्त किया गया है कि इस फैसले का असर राज्य में नहीं होगा।

राज्य अप्रैल 2017 में ही सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर पॉलिसी बना चुका है। मगर जानकारों की माने तो राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे वकीलों ने ठीक ढंग से अपनी बात नहीं रखी जिस वजह से प्रतिबंध में राज्य को भी शामिल कर लिया गया। इसी तरह मुंबई उच्च न्यायालय पहले भी मुंबई में निर्माणकार्य पर रोक लगा चुका है। जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया था। खबर है की वकीलों ने इस मामले में फिर सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलील प्रस्तुत की है और राज्य को अपने पक्ष में फैसला आने की उम्मीद है। राज्य के शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव नितिन क़रीर की माने तो इस प्रतिबंध का राज्य में कोई असर नहीं होगा।

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वही दूसरी तरफ बिल्डरों ने भी सरकार द्वारा दिए गए भरोसे पर भरोसा जताया है। क्रिड़ाई नागपुर के अध्यक्ष अनिल नायर के मुताबिक राज्य सरकार के वकीलों ने दुबारा अपनी दलील अदालत में दी है। पहले ठीक ढंग से मामले को न रखे जाने की वजह से वैसा हुआ। उम्मीद है की सुप्रीम कोर्ट सरकार की दलील को मान्य करेगा। जो मुद्दा है उसको राज्य सरकार ने एक वर्ष पहले ही निपटा चुका है।

एसडीपील समूह के निदेशक गौरव अग्रवाल भी सरकार पर पूरा भरोसा दर्शा रहे है। उनके मुताबिक राज्य में किसी तरह के निर्माणकार्य में रोक नहीं लगी है। सब जगह काम शुरू है। अगर इस प्रतिबंध में ऐसा कुछ होता जिसे तत्काल प्रभाव से अमल में लाया जाना होता तो सरकार की तरफ से नोटिफिकेशन निकाली जाती।

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