Published On : Tue, Sep 11th, 2018

पांढुर्ना के गोटमार में एक युवक की मौत

Advertisement

पांढुर्णा: परंपरा के नाम पर प्रतिवर्ष पोला के पाडवे के दिन पांढुर्ना और सावरगांव बीच खेले जाने वाले गोटमार में पत्थरबाज़ी में एक युवक की मौत ,15 गंभीर औ 600 से अधिक लोग घायल हुए। गोटमार मेले में जवानों को लेकर जा रही एक वैन पलटने से 4 आरक्षक घायल हो गए। गोटमार मेले में मातम पसर गया। मेले में दोनों ओर से हुई पत्थरबाज़ी में बुरी तरह घायल शंकर पिता झिंगु भलावी (23) निवासी भुमारी की सीने पर पत्थर लगने से मौत हुई। हर साल की तरह इस बार भी दर्जनों लोग घायल हो गए। गोटमार में ड्यूटी के लिए जवानों को लेकर जा रहा एक वाहन पलट गया।

इसमें आठवीं वाहनी के जवान तैनात थे। 4 आरक्षकों को चोट आयी है। गोटमार में सात साल बाद किसी व्यक्ति की मौत हुई है।घायलों का प्राथमिक उपचार मेडिकल कैम्पो में किया और गंभीर रूप से घायलों को नागपुर रेफर किया गया। वर्ष 2011 में भी एक व्यक्ति की मौत हुई थी। मान्यता के अनुसार जाम नदी के बीच में पलास का झंडा गाड़ा गया। फिर पांढुर्णा और सावरगांव के लोग एक-दूसरे पर दिनभर पत्थर बरसाए। शाम को झंडा सावरगांव के लोगों ने तोड़ा और पांढुर्ना पक्ष की हार हुई। वर्ष 1955 से अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हो चुके हैं।

Gold Rate
Thursday 13 March 2025
Gold 24 KT 87,100 /-
Gold 22 KT 81,000 /-
Silver / Kg 99,100 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

देश का यह पहला मेला है जिसमें पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में लोग एक दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं। गोटमार मेले का इतिहास 300 साल पुराना बताया जाता है। इसका वास्तविक इतिहास किसी को नही पता है। मान्यता है बरसों पहले कभी पांढुर्णा और सावरगांव के युवक और युवती के बीच प्रेम प्रसंग चला। इससे दोनों के गांव वाले नाराज़ हो गए। दोनों में दुश्मनी हो गयी और गुस्से में एक-दूसरे को पत्थर मारने शुरू कर दिए।

इस पत्थरबाज़ी में दोनों प्रेमी युवक-युवती की मौत हो गयी। बस तब से वो घटना इन दोनों गांव वालों के लिए प्रतीक और परंपरा बन गयी। हर साल इसी घटना की याद में दोनों गांव वाले एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं। ये गांव महाराष्ट्र की सीमा पर बसे हैं, मराठी में पत्थर को गोटा कहा जाता है।

इसलिए इसका नाम पड़ा गोटमार मेला। दोनों गांव नदी के आर-पार बसे हैं। लोग मानते हैं कि जो घायल होता है उसे मां चंडी का प्रसाद मिलता है। लंबे समय से चल रहे इस मेले में शराब पर पूरी तरह प्रतिबंध है। इसके बावजूद मेले के दौरान शराब की खुलेआम बिक्री होती है और लोग छककर पीते हैं। मेला स्थल पर कलेक्टर वेदप्रकाश शर्मा और पुलिस अधीक्षक अतुल सिंह के नेत्तृव में 10 मजिस्ट्रेट और 750 पुलिसकर्मि तैनात थे।

Advertisement
Advertisement