नई दिल्ली/लखनऊ: यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने बाबरी मस्जिद को लेकर विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा, बाबरी मस्जिद मंदिरों को तोड़कर बनाई गई थी. ऐसे में बाबरी को जायज मस्जिद कहना इस्लाम के सिद्धातों के विपरीत है. उन्होंने कहा, बाबरी ढांचा हिंदुस्तान की जमीन पर कलंक है.
वसीम यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा कि उस कलंक को मस्जिद कहना ‘गुनाहे अजीम है, क्योंकि मस्जिद के नीचे की खुदाई 137 मजदूरों ने की थी. इनमें 52 मुसलमान थे’. रिजवी ने दावा किया कि खुदाई के दौरान 50 मंदिर के स्तंभों के नीचे के भाग में ईंटों का बनाया गया चबूतरा मिला था. इसमें मंदिर से जुड़े कुल 265 पुराने अवशेष मिले थे. इसी के आधार पर भारतीय पुरातत्व विभाग इस निर्णय पर पहुंचा था कि ऊपरी सतह पर बनी बाबरी मस्जिद के नीचे एक मंदिर दबा हुआ है. सीधे तौर पर माना जाए कि बाबरी इन मंदिरों को तोड़कर इनके मलबे पर बनाई गई है.
किताब का दिया हवाला
बाबरी विवाद पर वसीम रिजवी ने खुल कर पक्ष रखते हुए कहा कि अयोध्या विवात पर समझौता होना चाहिए और वहां मंदिर का रास्ता पूरी तरह से साफ होना चाहिए. उन्होंने मांग की कि लखनऊ में अलग से अमन की एक मस्जिद बनाई जानी चाहिए. इस दौरान उन्होंने कहा मैंने जो भी कहा है उसका उल्लेख केके मोहम्मद द्वारा लिखी किताब ‘मैं भारतीय हूं’ में हैं. ऐसी स्थिति में उस बाबरी कलंक को जायज मस्जिद कहना इस्लाम के सिद्धांतों के विपरीत है. उन्होंने कहा कि अभी भी वक्त है बाबरी मुल्ला अपने गुनाहों की तौबा करें और पैगंबर मुहम्मद के इस्लाम को मानें.
अमन की पहल की
रिजवी ने आगे कहा कि आतंकी अबुबक्र और उमर की विचारधारा को छोड़ो और एक समझौते की मेज पर बैठकर हार-जीत के बगैर राम का हक हिंदुओं को वापस करो और एक नई अमन की मस्जिद लखनऊ में जायज पैसों से बनाने की पहल करो.