नागपुर के बड़े सरकारी अस्पताल के 20 से अधिक निवासी चिकित्सक डेंगू की चपेट में
नागपुर: जिस अस्पताल में मरीजों का ईलाज होता हो वहाँ अगर चिकित्सक ही बीमार हो जाए, तब स्वास्थ्य व्यवस्था का चौपट होना लाज़मी है। सरकारी अस्पतालों में जहाँ ईलाज की सुविधा वैसे ही ख़स्ताहाल होती है ऐसे में एक साथ 20 से अधिक चिकित्सकों का ख़ुद बीमार हो जाना मरीज और उनके परिजनों के लिए बड़ी आफ़त से कम नहीं। ये हाल नागपुर के बड़े सरकारी मेयो अस्पताल का है जहाँ ग़रीब तपका ईलाज कराने के लिए आता है।
अस्पताल में फ़िलहाल डेंगू के 55 मरीज ईलाज करा रहे है जिसमे से दो का आईसीयू में ईलाज शुरू है। अस्पताल के 30 बेड वाले विभाग में सभी बेड फुल है जिस वजह से कई बेड में दो मरीजों को लिटाया गया है। अस्पताल के इतने सारे डॉक्टरों के अचानक बीमार हो जाने के पीछे बीमार व्यवस्था और लचर प्रशासन का हाँथ है। जो डॉक्टर बीमार हुए है वो अस्पताल में निवासी डॉक्टर की हैसियत से है। यानि पढाई के साथ उनका काम सेवा देना भी है। सीनियर डॉक्टर की मदत के साथ ओपीडी,ओटी,अतिदक्षता विभाग के साथ रात में दी जाने वाली सेवाएं इन्ही निवासी चिकित्सकों की बदौलत ही सरकारी अस्पताल में चलती है। अब जब चिकित्सक ख़ुद बीमार हो गए है तो इसका असर मेयो में स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ रहा है।
निवासी चिकित्सको के लिए अस्पताल परिसर में ही छात्रवास ( हॉस्टल ) है। जहाँ मौजूद गंदगी को लेकर चिकित्सक लगातार गुहार लगाते रहे है लेकिन कोई सुनवाई अस्पताल प्रशासन द्वारा नहीं होती। सिर्फ गाँधी जयंती को छोड़ कर ( इस दिन को देश स्वछता दिवस के रूप में मनाता है ) ढंग से साफ सफाई नहीं होती। यह हालात तब है जब यहाँ की सफाई शहर में स्वस्छता अभियान की शुरुवात करते हुए खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी कर चुके है। डेंगू के मच्छर गंदगी विशेष तौर पर जमा पानी में पनपते है। निवासी चिकित्सकों के मुताबिक छात्रवास की ड्रेनेज लाइन हमेशा जाम रहती है। छात्रवास के बगल से ही सीवर लाइन गुजरी है जो हमेशा चोक रहती है। गंदगी और मच्छरों से वो परेशान है कि लेकिन वर्त्तमान में डेंगू ने चिकित्सकों पर कहर बरपा कर रखा है।
खुद राज्य के स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट कहती है कि इस वर्ष 4667 लोगों को डेंगू हुआ जिसमे से 18 की मौत हो गई। शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने इस बात की तस्दीक दिल्ली में की है।
सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली स्वास्थ्य सेवा की मेयो अस्पताल में यहाँ रहने वाले चिकित्सकों के डेंगू से पीड़ित होने की यह एक तस्वीर है। दूसरी तस्वीर कामगारों को स्वास्थ्य सेवा देने वाले राज्य कर्मचारी बिमा निगम के अस्पताल की भी है। यहाँ नर्स अपना कामकाज छोड़कर ईसीजी निकालने का काम महीनों से कर रही है। वजह है कि यहाँ ईसीजी की रिपोर्ट निकालने वाले टेक्नीशियन की जगह रिक्त है। जिस वजह से यह भार स्वास्थ्य सेवा देने वाली नर्सो पर आ गया है। नर्स चिकित्सक के परामर्श पर मरीज की देखभाल करती है जबकि ईसीजी रिपोर्ट निकालने का काम तकनिकी असिस्टेंट का है। बिमा दवाखाने में इस पद पर कार्यरत टेक्नीशियन का महीनो पहले अन्य स्थान पर ट्रांसफर हो चुका है जब से लेकर अब तक यहाँ कोई अन्य नियुक्ति हुई ही नहीं है।