नागपुर: नागपुर महानगरपालिका आर्थिक रूप से सक्षम जरूर है. लेकिन आर्थिक शिष्टाचार का पालन न करने की वजह से मनपा की आर्थिक स्थिति पिछले कुछ सालों से लड़खड़ाई हुई है. वहीं मनपा छोटे-मोठे कामों के लिए भी पीएमसी (प्रकल्प प्रबंधन सलाहकार ) की नियुक्ति कर देती है. जबकी दिग्गज एफएमसी (वित्तीय प्रबंधन सलाहकार) की नियुक्ति से इस फिजूल खर्ची से आसानी से बचा जा सकता है.
ज्ञात हो कि हर साल मनमाफिक हज़ारों करोड़ रुपयों का वार्षिक बजट तैयार किया जाता है. जिस पर निधि की उपलब्धता के अनुसार तय मनसूबे पूरे करने की कोशिशें होती रहती हैं. लेकिन
पीएसी पर बेवजह खर्च कर ‘वर्क ऑडिट’ की किफ़ायती प्रक्रिया को दूर रखा जा रहा है. इससे आज एक ही काम के कई बिल बनते देखे जा सकते हैं. वित्तीय प्रबंधन सलाहकार की सिफारिश से मनपा प्रशासन अपना करोड़ों का ख़र्च बचा सकती है.
नियमानुसार वाहन मामले में अल्प को ही सुविधा होने के बावजूद सैकड़ों को वाहन सुविधा देकर मनपा आर्थिक संकट में आ गई. कोटेशन के कामों ( ३ लाख से कम के काम ) की बिक्री ५०-५० हज़ार रुपए में हो रही,ट है. इसके अलावा सम्पूर्ण कमीशन में और १०% खर्च होने के बाद शेष ७०% निधि से तय विकासकार्य व ठेकेदार की कमाई के शेयर के बाद काम की गुणवत्ता का आंकलन आसानी से किया जा सकता है. बड़े कमाई के चक्कर में पदाधिकारियों के परिजन खुद ही कोटेशन के काम बेच, खरीद व खुद ही कर रहे हैं.
वहीं वित्तीय प्रबंधन सलाहकार की सिफारिश से अधिकारियों और कर्मचारियों के रोजाना काम की समीक्षा भी होगी. बड़े अधिकारी समय पर अपना काम नहीं करते और बाद में कार्यालय में शाम ६ से ११ काम करते देखे जाते हैं. ऐसे में हालत निचले वर्ग के कर्मचारियों की ख़राब होती है.