स्कूल से न डरें पालक
नागपुर: आरटीई एडमिशन की आखरी तारीख 10 मई थी. एनआईसी की लापरवाही के कारण जिन अभिभावकों को एडमिशन के एसएमएस उनके मोबाइल पर एक या फिर दो दिन पहले मिले, उनके लिए तारीख आगे बढ़ाने का भरोसा दिया गया था. लेकिन अब तारीख बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. जिसके कारण कई विद्यार्थी एडमिशन से वंचित रहे सकते हैं. आरटीई एक्शन कमिटी चेयरमैन शाहिद शरीफ़ की जानकारी के अनुसार एक मुस्लिम विद्यार्थी को ओबीसी में दिखाया गया है. उसने एफिडेविट भी बनाकर दिया था. शरीफ का कहना है कि पहले ही आरटीई एडमिशन को लेकर अभिभावक परेशान हो रहे हैं. कमेटी में मिली शिकायतों के अनुसार कई स्कूल बच्चोँ की टीसी के बदले बोनाफाइड सर्टिफिकेट दे रहे हैं. जबकि दूसरी स्कूल भी डाक्यूमेंट्स देने में आनकानी कर रहे हैं. स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में कमी के कारण स्कूल्स डॉक्युमेंट्स नहीं दे रही है. अगर कोई स्कूल जानभूझकर डॉक्युमेंट्स देने में आनाकानी करती है तो उन पर आरटीई एक्शन कमेटी आपराधिक मामला दर्ज करेगी.
इसके साथ ही शरीफ ने कहा कि एनसीईआरटी के अलावा स्कूले कोई और पब्लिकेशन कि किताबें देती है तो उसके लिए एनसीपीसीआर में शिकायत करें. मुफ़्त शिक्षा के अधिकार अंतर्गत अधिनियम 2009 और रूल 2010 की धारा 29 के अनुसार कि नियम में कई भी बाहर से किताबें लाकर वह अन्य पब्लिकेशन की किताबें लेने की शर्त अभिभावकों पर थोप नहीं सकते. उसी प्रकार एक्क्टिविटी फ़ीस के नाम से भी पैसे लिए जा रहे हैं. इसी प्रकार बच्चों को ये अतिरिक्त बोझ डालने पर जेजे एक्ट सेक्शन 75 की धारा अंतर्गत यातना दी जा रही हैं और नियमों का उल्ल्लंघन हो रहा है. यदि स्कूल आरटीई अधिनियम का उल्लंघन करती है. जैसा कि शिक्षा में व्यवसायीकरण को बढ़ावा देती है ऐसी स्कूलों पर आपराधिक मामला दर्ज होगा. शरीफ ने कहा कि किसी भी पालक का एडमिशन रद्द नहीं होगी. किसी भी स्कूल के बहानों से धमकी से डरे नहीं क्योकि अब स्कूल के हाथों में कुछ नहीं है. स्कूल 12वीं तक किसी भी तरीके से नकार या छेड़छाड़ नहीं कर सकती.