Published On : Fri, Jul 19th, 2019

कोराडी में नए पावर प्लांट शुरू होने से नागपुर में और आएगी बारिश में रुकावट

Advertisement

नागपुर- राज्य के बजट में कोराडी में 8,400 करोड़ रुपए की लागत से 660 मेगावाट के दो पावर प्लांट शुरू किए जाने का निर्णय लिया गया है. राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद नए यूनिट के साथ कोराडी में बिजली उत्पादन 1320 मेगावाट हो जाएगा. कोराडी और खापरखेड़ा में स्थित पावर प्लांट के कारण नागपुर और आसपास में पर्यावरण संबंधी बढ़ती समस्याओ के कारण शहर के पर्यावरण संघटन इसके खिलाफ एकजुट हो चुके है.

विदर्भ कनेक्ट की ओर से पत्रकार भवन में पत्र परिषद का आयोजन कर इस समस्या की ओर उन्होंने सभी ध्यान आकर्षित किया. नए पॉवरप्लांट का सभी ने विरोध किया है. जिसमे विदर्भ कनेक्ट के अध्यक्ष मुकेश समर्थ ने कहा की नासा के अध्ययन के अनुसार जहां प्रदुषण ज्यादा होता है, वहां बारिश का पैटर्न भी प्रभावित होता है. यह अध्ययन आज नागपुर में प्रत्यक्ष में देखा जा सकता है. बारिश नहीं हो रही है. बादलों को बरसने के लिए तापमान का कम होना जरुरी है. लेकिन नागपुर में धरती से उठ रही गर्मी बादल को बरसने ही नहीं दे रही है.

Advertisement
Wenesday Rate
Wednesday01 Jan. 2025
Gold 24 KT 76,900 /-
Gold 22 KT 71,500 /-
Silver / Kg 86,700 /-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

इस दौरान सदस्यों ने यह भी जानकारी दी की पावर प्लांट के शहर में होने से पर्यावरण और जैवविविधता पर पड़ रहे असर पर भी बात की. इस दौरान विदर्भ पर्यावरण कृति समिति के संयोजक सुधीर पालीवाल, विदर्भ कनेक्ट के अध्यक्ष मुकेश समर्थ और दिनेश नायडू, ग्रीन प्लेनेट सोसाइटी के चंद्रपुर के अध्यक्ष सुरेश चोपने, कृषि विज्ञान आरोग्य संस्थान के ओम जाजोदिया, एमएसईडीसीएल के पूर्व निदेशक ए.डी.पालमवार, महाविदर्भ जनजागरण के नितिन रोंघे समेत बड़ी संख्या में संघटन के प्रतिनिधि मौजूद थे.

इस दौरान सदस्यों ने कहा कि शहर में इस वर्ष अभूतपूर्व रूप से तापमान में उछाल दर्ज किया गया है. इसे दरकिनार नहीं किया जा सकता. विदर्भ में ठीक ठाक ग्रीन एरिया होने के बावजूद जुलाई में बारिश नहीं हुई है. बादल के बावजूद पानी नहीं बरस रहा है. इस विषय में नासा के अध्ययन पर ध्यान देने की जरुरत है. हम 2050 में जिन प्रभावों की बात कर रहे थे. वे आज ही सामने आ गई है. इस विषय पर तत्काल ध्यान देने की जरुरत है. ऐसे में कोराडी में दो और यूनिट शुरू किए जाने का शहर के आसपास में काफी बुरा प्रभाव पड सकता है.

विदर्भ में कोयला आधारित पॉवरप्लांट में लगभग 16816 मेगावाट विघुत उत्पादन होता है, इसमें से केवल 1700 मेगावाट का विदर्भ में उपयोग हुआ. यानी 70 फीसदी बिजली का उत्पादन विदर्भ में होता है और यहां का उपयोग केवल 11 फीसदी है.

पुणे विभाग में विदर्भ से तीन गुणा ज्यादा बिजली की खपत है. लेकिन वहां के विरोध के कारण वहां एक भी पावर प्लांट नहीं है.पावर प्लांट के कारण नागपुर और चंद्रपुर काफी प्रदूषित हो चुके है. पावर प्लांट में काफी अधिक मात्रा में पानी की जरुरत होती है. पहले ही पानी की समस्या झेल रहे विदर्भ में समस्या और गहरा जाएगी.

Advertisement