Published On : Mon, Sep 16th, 2019

महाराष्ट्र: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तोड़ा 44 साल का रिकॉर्ड

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कार्यकाल पूरा करने के मामले में 44 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. वहीं पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के मामले में वह राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री बन गए हैं. देवेंद्र फडणवीस से पहले सिर्फ वसंतराव नाइक ने यह उपलब्धि हासिल करने में सफल रहे थे. राज्य में ज्यादातर समय कांग्रेस का ही शासन रहा. कांग्रेस ने जहां नाकामियों की वजह से कुछ मुख्यमंत्रियों को समय-समय पर हटाया तो कुछ को राज्य से केंद्र की राजनीति में बुलाए जाने के कारण पद छोड़ना पड़ा.

राज्य में जितने भी मुख्यमंत्री हुए हैं, उसमें अधिकतर को विपक्ष से ज्यादा पार्टी के अंदरखाने कुर्सी के लिए संघर्ष करना पड़ा है. अगर दूसरी बार फडणवीस मुख्यमंत्री बनकर कार्यकाल पूरा करते हैं तो दो कार्यकाल पूरा करने के मामले में वसंतराव नाइक की बराबरी कर सकेंगे. राज्य के पहले मुख्यमंत्री यशवंत राव चव्हाण और शरद पवार को रक्षा मंत्री बनने के कारण पद छोड़ना पड़ा था.

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कुर्सी बचाने में सफल रहे फडणवीस
महाराष्ट्र में जब वर्ष 2014 में देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने तो उन्हें कांटों का साज मिला था. लीक से हटकर बीजेपी ने गैर मराठा कार्ड खेलकर ब्राह्मण चेहरे फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया था. पांच साल के कार्यकाल के दौरान दलित आंदोलन, मराठा आंदोलन और किसान आंदोलनों से मुख्यमंत्री फडणवीस जूझते रहे. मगर उन्होंने सूझबूझ से इन आंदोलनों को शांत करने में सफलता हासिल की. जिससे वह मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने में सफल रहे. सूत्र बताते हैं कि पार्टी के अंदरखाने भी वह सभी वरिष्ठ नेताओं को साधने में सफल रहे.

वसंतराव नाइक 11 साल से ज्यादा रहे मुख्यमंत्री
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा समय तक वसंत राव नाईक मुख्यमंत्री रहे. कांग्रेस सरकार में वसंत राव नाईक 11 साल से ज्यादा कुल 4097 दिन मुख्यमंत्री रहे. पांच दिसंबर 1963 को पहली बार मुख्यमंत्री बने तो एक मार्च 1967 तक इस पद पर रहे. वहीं दूसरी बार 13 मार्च 1972 से 20 फरवरी 1975 तक मुख्यमंत्री रहे. आजादी के बाद राज्य में कार्यकाल पूरा करने वाले पहले मुख्यमंत्री रहे.

नाइक के सीएम बनने से पहले और उनके बाद( देवेंद्र फडणवीस को छोड़कर) कोई मुख्यमंत्री कार्यकाल नहीं पूरा कर पाया. मिसाल के तौर पर राज्य के पहले मुख्यमंत्री यशवंत राव चव्हाण एक मई 1960 से 19 नवंबर 1962 तक ही मुख्यमत्री रहे. दूसरे मुख्यमंत्री मोरोतराव कन्नमवार करीब एक साल तक ही पद पर रहे. वहीं तीसरे मुख्यमंत्री पीके सवंत सिर्फ दस दिन तक कुर्सी पर रहे. 1978 तक राज्य में कांग्रेस के ही मुख्यमंत्री रहे.

मराठा क्षत्रप शरद पवार का दौर
18 जुलाई 1978 में राज्य में कांग्रेस से अलग हुए नेताओं के मोर्चे की सरकार बनी थी. नाम था प्रगतिशील डेमोक्रेटिक फ्रंट. मराठा क्षत्रप शरद पवार 38 वर्ष की उम्र में ही 18 जुलाई 1978 को मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे. वह इस पद पर 17 फरवरी 1980 तक यानी 480 दिन तक रहे. प्रगतिशील डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार में सीएम बनने से पहले शरद पवार कांग्रेस में थे. बाद में इंदिरा गांधी सरकार के केंद्र में बहुमत की सरकार बनाने के बाद शरद पवार की सरकार बर्खास्त हो गई थी. इसके बाद फिर से 1995 तक कांग्रेस की सरकारें रहीं. फिर 1987 तक शरद पवार फिर कांग्रेस का हिस्सा बन गए थे. कांग्रेस की सरकार में शरद पवार दो बार और मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे. वह कांग्रेस की सरकार में 26 जून 1988 से 25 जून 1991 और फिर छह मार्च 1993 से 14 मार्च 1993 तक मुख्यमंत्री रहे.

शिवसेना-बीजेपी का दौर शुरू
राज्य में कांग्रेस के कमजोर होने पर 1995 से बीजेपी-शिवसेना गठबंधन सरकार का दौर शुरू हुआ. गठबंधन सरकार बनने पर शिवसेना नेता मनोहर जोशी 14 मार्च 1995 से 1999 तक मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद फिर 26 सितंबर तक राज्य में कांग्रेस की सरकार रही. 34 दिन राष्ट्रपति शासन लगने के बाद राज्य में 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद फिर से बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनी और देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने.

ये मुख्यमंत्री हटाए गए थे पद से
मुंबई दंगा होने पर 1993 में सुधाकर नाईक को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से मतभेद की वजह से मनोहर जोशी भी मुख्यमंत्री पद से हटे थे. इसी तरह 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले के कारण जहां विलास राव देशमुख, वहीं आदर्श सोसाइटी घोटाले के कारण अशोक चव्हाण को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था. राज्य में सभी मुख्यमंत्रियों को कुर्सी बरकरार रखने के लिए विपक्ष ही नहीं अपनी पार्टी में भी संघर्ष करना पड़ा. यही वजह रही कि राज्य में लगातार मुख्यमंत्री बदलते रहे.

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