नागपुर. आरेंज सिटी को आटो हब बनाने के लिए भले बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हो लेकिन वास्तविकता यह है कि कम्पनियों को लुभाने के लिए उा स्तर पर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे. करीब 2 वर्ष पहले बूटीबोरी एमआईडीसी में संभावनाएं खंगाल रही आटोमोबाइल क्षेा की दिगज कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा अब पड़ोस के मयप्रदेश में निवेश पर विचार कर रही है. पता चला है कि कंपनी वहां करीब 3000 करोड़ रुपये के बड़े निवेश के साथ स्पोर्ट्ïस युटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) की निर्माा इकाई लगाने की योजना पर विचार कर रही है. कंपनी को भोपाल के पास बगरोदा में 500 एकड़ जगह दिखाई गई है. इसी यूनिट के लिए कंपनी पहले बूटीबोरी में जमीन तलाश रही थी. बताया जाता है कि कंपनी ने यहां 600 एकड़ जमीन की मांग की थी. बूटीबोरी मैयुफैचरिंग एसो. के तकालीन अयक्ष प्रदीप खंडेलवाल सहित अय पदाधिकारियों के साथ बैठक कर जमीन उपलधता और सुविधाओं का जायजा लिया था. कंपनी की ओर से मुंबई में उा स्तर पर कुछ बातें भी हुई लेकिन लगता है बात आगे नहीं बढ़ पाई. नहीं मिल पाई जमीन बताया जाता है कि कंपनी उस समय वर्तमान बूटीबोरी एमआईडीसी में 600 एकड़ जमीन की मांग की थी लेकिन इतनी बड़ी जमीन एक साथ वहां उपलध नहीं हो पाई. एमआईडीसी की ओर से बूटीबोरी के फेस 2 में जमीन देने की बात कही गई थी लेकिन इसे पूरा होने में और समय को देखते हुए कंपनी ने दूसरे ठिकानों की खोज करना यादा बेहतर समझा. बीएमए अयक्ष हेमंत अंबासेलकर ने कहा कि महिंद्रा एंड महिंद्रा के प्रोजेट के लिए हमने भी काफी फालोअप किया था लेकिन कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने फिलहाल नागपुर में किसी तरह के निवेश की संभावना से इंकार कर दिया है. एमआईडीसी के प्रादेशिक अधिकारी विजय भाकरे ने कहा कि कंपनी की ओर से फिलहाल प्रयक्ष में हमसे किसी तरह का संपर्क नहीं किया गया. रिलीज हो सेज की 147 हे. भूमि वर्ष 2005 में अजंता प्रोजेट को आवंटित की गई 147 हेटेयर जमीन को डिनोटिफाई कर रिलीज करने की मांग बीएमए द्वारा काफी समय से की जा रही है. सेज बोर्ड को इसे डिनोटिफाई करने के लिए प्रस्ताव भी भेजा गया था लेकिन आज तक जमीन रिलीज नहीं हो पाई. सूाों का कहना है कि यह जमीन खाली हो जाती तो महिंद्रा एंड मङ्क्षहद्रा को अलाट की जा सकती थी. इसके अलावा और भी कई छोटी कंपनियां निवेश के लिए तैयार बैठी हैं.
Published On :
Sat, Oct 6th, 2012
By Nagpur Today
शुरुआत से पहले आटोमोबाइल हब को झटका नागपुर छोड़ रूक्क जा रही मङ्क्षहद्र – Navbharat
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