उमरखेड़ (यवतमाल)
पिछले हफ्ते अपेक्षित बारिश होने से कपास, सोयाबीन, तुअर और गन्ना एवं पपई जैसे फलों की फसलों को जीवनदान मिल गया है. लेकिन जिन किसानों ने सिंचाई सुविधा का लाभ लेते हुए अपनी फसलों को जीवंत रखा, उनके जरूर संकट में आने की आशंका नजर आने लगी है. इस बारिश से उनके खेतों की जमीन को जरूरत से अधिक पानी मिल गया है. इससे फसलों के संकट में आने की आशंका से किसान चिंतित हो गए हैं.
पिछले साल जून माह में खरीफ के मौसम की शुरुआत में ही अच्छी बारिश होने से उमरखेड़-महागांव के दसों लघु तालाबों से पानी बह रहा था. लेकिन इस बार स्थिति एकदम विपरीत रही. संकट से घिरे किसान को पूरक व्यवसाय करने की दिशा भी नहीं मिलती. सरकार किसानों का फसल कर्ज, बिजली बिल (कृषि), बीजों और खाद की असहनीय कीमतें कम करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाता और न कर्ज माफी के संबंध में ही कोई विचार किया जाता है.
इंजीनियरिंग, मेडिकल, तंत्र निकेतन कॉलेजों में पढ़ने वाले किसानों के बच्चों की फीस भरने के लिए भी उनके पास पैसा नहीं है. इसलिए अनेक बच्चों की शिक्षा अधूरी रहने का संकट पैदा हो गया है. इस तरह सरकार को ध्यान देना चाहिए.
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