नागपुर। राज्य में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में से सबसे ज्यादा अपने क्षेत्र में रहने-दिखने वाले उम्मीदवारों में अग्रणी नाम सावनेर से कांग्रेसी उम्मीदवार सुनील केदार का कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. इनका साफ और सीधा कहना है कि राजनीति इनका पेशा है और सभी अपने पेशे से घनिष्ठता रखते हैं. दिन हो या रात, शिद्दत से ईमानदारी से की जा रहे पेशे में दिक्कत आये तो खफा होना लाजमी है.
केदार ग्रामीण सह कृषि उत्पन्न, सहकारी क्षेत्र की राजनीति में अपना एक अलग वजूद रखते हैं. ग्राम पंचायत चुनाव से लेकर राष्ट्रपति चुनाव तक गम्भीरतापूर्वक सक्रिय रहते हैं. इन्ही विशेष कार्यशैली के कारण केदार सावनेर विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक परिवार को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं. वर्तमान में सावनेर विधानसभा क्षेत्र में कितने मतदाता पंजीकृत हैं और वर्तमान में कितने रह रहे है, इसकी जानकारी केदार को जबानी याद है.
केदार अपने विधानसभा क्षेत्र के नागरिकों के सुख-दुःख में भी शामिल होते हैं, और इनकी छोटी से लेकर बड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए ग्राम सचिव से लेकर मुख्यमंत्री से भी बेख़ौफ़ भिड़ जाते हैं.
केदार अपने विधानसभा क्षेत्र में 365 दिन में से 330 दिन दिखने वाले जनप्रतिनिधि हैं. केदार मदद करते वक़्त यह कभी नहीं सोचता कि वह उसका पक्षधर है या फिर विरोधी. केदार को युवावस्था से उत्तर भारतीयों से गहरा लगाव है. सावनेर क्षेत्र के वेकोलि खदानों सह औद्योगिक क्षेत्रों में कार्यरत उत्तर भारतीयों के पालक के रूप में केदार को पहचाना जाता है. सावनेर के छोटे से छोटे गांव में उनकी ख्याती दूसरे नेताओं से काफी ऊपर है.
इस विधानसभा चुनाव में केदार का मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार सोनबा मुसले से है.चुनावी जनसम्पर्क अभियान के क्रम में सभी विपक्षी उम्मीदवारों का पहला चरण शुरू हुआ है तो केदार का तीसरा चरण अंतिम दौर पर है.सावनेर-कलमेश्वर क्षेत्र के मतदाताओं का रुझान तो यह साफ कर चूका है कि केदार पिछले विधानसभा चुनाव से इस दफे के चुनाव में जीत की मार्जिन कितना अधिक बढ़ा पाते है.
–राजीव रंजन कुशवाहा