Published On : Wed, Apr 8th, 2015

चंद्रपुर के ताडोबा जंगल में लगी आग!

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मानवनिर्मित आग से वनविभाग परेशान

सैकड़ों हेक्टर में ‘ग्राऊंड फायर’

Fire in tadoba Forest
चंद्रपुर। सम्पूर्ण राज्य में वनसृष्टि के लिए प्रसिद्ध चंद्रपुर जिले के जंगल में विगत कुछ दिनों से आग लगी है, आग से ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प, ताडोबा बफरझोन तथा उत्तर चांदा वनविभाग महामंडल के  कुछ क्षेत्र में सैकड़ो हेक्टर में ‘ग्राऊंड फायर’ होने के दृश्य दिख रहे है. मानवनिर्मित इस आग से वनविभाग परेशान हुआ है, इस आग को नियंत्रित करने के लिए संबंधित विभाग को कसरत करनी पड रही है. दो दिन पूर्व बफर झोन की आग नियंत्रण में लाने के लिए प्रयास करने के बाद सोमवार 6 अप्रैल को सुबह लोहारा-जुनोना मार्गपर एक तालाब के पीछे के जंगल में आग भड़की. इस आग पर वनविकास महामंडल ने काबू कर लिया है.

हर वर्ष गर्मी की शुरुवात में जंगल में आग लगने की घटनांओं में बढ़त हो रही है. इसबार जहां आग लगी वहां से गांव कुछ ही दुरी पर था. जिससे उक्त आग मानवनिर्मित होने का अंदाजा व्यक्त किया जा रहा है. गत छह दिनों में आग लगने के बाद ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत आने वाले 380.510 हेक्टर में आग का साम्राज्य फैला है. इसमें 49 घटना ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के बफर झोन में तथा 15 घटना कोअर झोन में घटी. बफर झोन में 159.071 हेक्टर तथा कोअर झोन में 221.439 हेक्टर जंगल में आग ने तांडव किया है. ऐसी ही स्थिति वनविकास महामंडल (एफडीसीएम) अंतर्गत आने वाले वनपरिसर में भी घटी.

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Copy of Fire in tadoba Forest
85 हजार हेक्टर जंगल के लिए सिर्फ 140 फायर वॉचर
अब तक वनविकास महामंडल की 16 विभिन्न आग की घटना से 174 हेक्टर जंगल में आग फैली है. सुबह जुनोना रेंज अंतर्गत आनेवाले कक्ष क्र. 410 के सेक्टर 16 वलनी परिसर में आग का तांडव शुरू हुआ है. इस घटना का वृत्त वनविभाग को मिलते ही आग पर नियंत्रण करने के लिए फायर वॉचर की टीम को रवाना किया गया और प्रयास के बाद वनविभाग को आग पर नियंत्रण करने में सफलता मिली. 85 हजार हेक्टर जंगल के लिए सिर्फ 140 फायर वॉचर है. चंद्रपूर जिले में 1 लाख 7 हजार 551 हेक्टर परिसर जंगल है. इसमें 85 हजार हेक्टर जंगल पर आग से संरक्षण करने की जिम्मेदारी वनविभाग महामंडल की ओर है. महामंडल ने इसके लिए जंगल में जगह-जगह उंची चौकी (मचान) खड़े करके व्यवस्था की है. इस चौकी पर कर्मचारी संपूर्ण जंगल पर नजर रखे रहते है. जहां कही धुवां उठते दिखाई देने पर उसकी जानकारी वॉकीटाकी के माध्यम से जंगल बेसरुम में दी जाती है. इस जानकारी के आधार पर आग बुझाने वाले कर्मचारी घटनास्थल पर रवाना होते है. ऐसे 140 फायरवॉचर वनविभाग की ओर है. ऐसा होकर भी 85 हजार हेक्टर जंगल के लिए 140 फायर वॉचर काफी है क्या? ऐसा प्रश्न उपस्थित हो रहा है.

garadआग लगी लेकिन वन्यप्राणी सुरक्षित
ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प का कुछ क्षेत्र आग से संरक्षण करने के लिए वनविकास महामंडल (एफडीसीएम) की ओर कुछ वर्षों पूर्व दिया गया. इस कार्य के लिए हमारे विभाग की ओर एफडीसीएम को निधी दिया जाता है. इस बार ये निधी 73 लाख है, जो उनके हवाले किया गया है. परंतु एफडीसीएम की ओर नियुक्त कामगारों की संख्या ध्यान में लेते हुए आग पर नियंत्रण पाने के लिए उस विभाग को परेशानी हो रही है. ऐसा होकर भी जंगल में आग लगती है तब हमारे कर्मचारी वो आग बुझाने के लिए सामने आते है. जंगल में लगी आग ग्राऊंड फायर होने से उसपर नियंत्रण पा लिया गया. जिससे सभी वन्यजीव सुरक्षित है, ऐसी प्रतिक्रीया ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के मुख्य वनसंरक्षक और क्षेत्र संचालक जी.पी. गरड ने दी है.

आरोपी को पकडने के लिए सीसीटीव्ही कॅमेरे
जुनोना-लोहार जंगल में आग लगने की जानकारी वनविकास महामंडल के महाप्रबंधक सुधाकर डोले को पत्रकारों ने दी थी. उसके बाद पत्रकारों को घटनास्थल पर साथ चलने का निमंत्रण दिया गया. इस दौरान उन्होंने आग पर नियंत्रण पाने का दावा भी किया. दोपहर के बाद पत्रकारों की टीम फिर एक बार घटनास्थल पर पहुचने के बाद वहां की आग नियंत्रण में आई थी. इस दौरान उन्होंने कहां कि, ये आग मानवनिर्मित है, सुबह 3 से 4 बजे के करीब महुआ फुल चुनते हुए ये आग लगाई जाती है. लेकिन, आग लगाने वाला व्यक्ती वनविभाग के जाल में कभी फसता नही. जिससे ऐसे आरोपियों को पकडने के लिए अभी सीसीटीव्ही कॅमेरों का उपयोग किया जाएगा. इस दौरान उन्होंने जुनोना के बेसरुम में ले जाकर पत्रकारों को आगपर नियंत्रण कैसे पाया जाता है, इसका प्रदर्शन करके दिखाया. इस दौरान क्षेत्रीय प्रबंधक एस. बी. पाटील, सहाय्यक व्यवस्थापक व्ही. एन. शेलाल और एम.एस. कटकमवार की उपस्थिति थी.

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