नागपुर– नागपुर शहर में लावारिस श्वानो की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही थी. जिसके कारण श्वानों की जानो के साथ साथ नागरिकों को भी इससे परेशानी होने लगी थी. श्वानों द्वारा नागरिकों को काटने की घटनाएं भी बढ़ गई थी. श्वानों की संख्या को नियंत्रण में लाने के लिए उनकी नसबंदी अभियान की शुरुवात मनपा की ओर से की गई थी. पहले इसके लिए निजी एनजीओ के लिए टेंडर प्रक्रिया की गई थी. लेकिन किसी का भी प्रतिसाद नहीं मिलने की वजह से एक एनजीओ की मदद से नागपुर महानगरपालिका ने इस अभियान की शुरुवात फरवरी 2019 से की.
महाराजबाग के पास सरकारी पशु चिकित्सालय की जगह पर एनजीओ और मनपा की ओर से अब तक करीब 4 हजार श्वानों की नसबंदी की गई है. रोजाना 20 से 25 श्वानों की नसबंदी की जा रही है.
नसबंदी होने के बाद 2 से 3 घंटे उनकी देखरेख करने के बाद स्वस्थ श्वानों को उनकी जगहों पर छोड़ा जा रहा है. श्वानों के पिल्लो की और बड़े श्वानों की सड़क पर दुर्घटनाओ में मौत और उनके साथ हिंसा की घटनाओ को रोकने के लिए एबीसी ( एनिमल बर्थ कंट्रोल) ही एकमात्र उपाय है. जिससे इनकी संख्या में नियंत्रण के साथ ही नागरिकों को भी परेशानी नहीं होगी. साल 2006 में शहर में बड़े पैमाने पर नसबंदी की मुहीम चली थी. लेकिन कुछ महीनों इसे रोक दिया गया था. शहर में आवारा श्वानों की संख्या 1 लाख के करीब है.
श्वानों की नसबंदी को लेकर मनपा के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. गजेंद्र महल्ले ने बताया की फरवरी महीने से एनजीओ के साथ मिलकर नसबंदी मुहीम शुरू की है. रोजाना 25 श्वानों की नसबंदी की जा रही है. अब तक कुल 4 हजार के लगभग श्वानों की नसबंदी की जा चुकी है. 3 साल में करीब 50 हजार श्वानो की नसबंदी किए जाने के लक्ष्य की उन्होंने बात कही. उन्होंने बताया की नसबंदी की यह मुहीम लगातार चलानी है.