Published On : Sat, May 30th, 2020

सोनू ने मजदूरों को छप्पर फाड़कर दी खुशियां

Advertisement

फिलहाल अखबार और टीवी के समाचार चैनलों पर दो महीने से ज्यादा समय हो गया है, यहां कोरोना तथा लाॅकडाउन ही छाया हुआ है। इससे राहत के लिए चल रहे विश्वव्यापी अभियान की खबरें पढ़ने और सुनने के बाद अधिकांश लोगों में निराशा के भाव आने लगे हैं।

इससे बचने के लिए कुछ नामचीन मनोचिकित्सक टीवी कम-से-कम देखने की सलाह भी देने लगे हैं। लाॅकडाउन की पाबंदियों के साथ लोग धीरे-धीरे जीने की आदत डाल ही रहे थे, कि प्रवासी मजदूरों की देश भर में हो रही दुर्दशा ने मीडिया में अपनी जगह बना लिया। पिछले दो सप्ताह से प्रवासी मजदूर अपने घर जाने के लिए तड़प रहे हैं, बल्कि कुछ तो इस दुनिया को ही छोड़ गए।

Gold Rate
23 April 2025
Gold 24 KT 96,500 /-
Gold 22 KT 89,700 /-
Silver / Kg 96,800 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

उपरोक्त दोनों दृश्यों को टीवी पर निरंत देखने और पढ़ने के बाद अचानक से ‘पैगम्बर’ बने सिने अभिनेता सोनू सूद तो मीडिया के लिए ‘हाॅट न्यूज’ ही बन गए हैं। जी हां, सोनू स्वयं पहल करके जिस तरह प्रशासन और दूसरे राज्य के अधिकारियों से बात करके प्रवासी मजदूरों को सपरिवार उनके गंतव्य तक बसों से भेज रहे हैं, यह देख कर कुछ ‘विशेष’ लोग अचंभित हैं! लेकिन मुंबई की सड़कों पर सोनू सूद स्वयं हाजिर रह कर बसों को रवाना कर रहे हैं, यह सभी देख रहे हैं। यह दृश्य आमलोगों को राहत देने वाला लग रहा है। इससे वे स्वयं भी प्रेरित हो रहे हैं। कुछ विशेष करने के लिए।

सोनू सूद नागपुर में लंबे समय तक इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए रहे हैं। उनकी फिल्मी दुनिया में आज जो जगह बनी है, उसका श्रेय उनके कठोर परिश्रम और मिलनसार स्वभाव को जाता है। उनसे जब भी बातें होती थी, तो वे अपनी माँ का जिक्र जरूर करते थे। वे कहते थे ‘दया भाव, संघर्ष करने की क्षमता, सही समय का इंतजार और दूसरों का सम्मान करने के लिए मेरी माँ हमेशा प्रेरित करती रही हैं।

मैं एक बड़े अखबार के फिल्म परिशिष्ट का प्रभारी था। तत्कालीन संपादक ने 2011 में एक जनवरी के अंक के लिए कुछ चर्चित फिल्मी कलाकारों के हाथ से लिखे हस्ताक्षर के साथ संदेश ‘अखबार के पाठकों को नववर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं’ और उनका साक्षात्कार छापने का आदेश दिया।

मैंने सोनू को अखबार की योजना के बारे में बताया। तब फिल्म ‘दबंग’ के छेदी सिंह (सोनू सूद) अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके थे। थोड़ा शिखर पर चढ़ने के बाद अधिकांश कलाकार थोड़े ‘अकड़ू’ हो जाते हैं।

लेकिन सोनू के स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया। कुरियर से दूसरे दिन ही उनका संदेश मिल गया। फिर दो दिन बाद सोनू का साक्षात्कार लिया। तब भी सोनू ने कहा था, माँ के नाम से एक ट्रस्ट शुरू किया है। ‘प्रो. सरोज सूद मेमोरियल’ के माध्यम आर्थिक रूप से पिछड़े कुछ बच्चों को गोद लेकर शिक्षित करने का इरादा है।

आज सरोज सूद तो इस दुनिया में नहीं रहीं, लेकिन उनकी शिक्षा और संस्कार की बदौलत प्रवासी मजदूरों की सेवा के लिए सोनू जिस तरह तन मन धन से सेवारत हैं, उसे देखकर उनकी माँ को सुकून मिला होगा।

सोनू अब तक तकरीबन अठारह हजार प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेज चुके हैं। करीब साठ हजार अभी भी घर जाने की आस में कतार में हैं। सचमुच यदि आप कुछ करने के लिए ठान ले, तो असंभव कुछ भी नहीं है। सोनू राजनीति से दूर हैं। बावजूद इसके उन्होंने केरल में फंसे 177 लड़कियों को विशेष विमान से ओडिशा भेजा है।

इस लाॅकडाउन में यह आसान नहीं था। बावजूद इसके अपनी मित्र नीति गोयल के साथ कोच्चि और भुवनेश्वर हवाई अड्डा खुलवाने के लिए वहां के अधिकारियों से बात कर अनुमति ले ही लिया। लड़कियां अपने घर पहुंच चुकी हैं। महामारी से बेरोजगार हो गए इन प्रवासी मजदूरों की व्यथा को सिने जगत के कुछ अन्य लोगों ने भी महसूस किया। वे सभी अपनी सामर्थ्य के अनुसार ‘घर भेजो’ मुहिम को सफल बनाने में लगे हुए हैं।

गरीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा, तुम एक पैसा दोगे वो दस लाख देगा……. यह चर्चित गीत नि:स्वार्थ काम करने वालों के लिए ही है। फिलहाल सोनू सूद और कुछ अन्य लोगों को लगातार दुआएं मिल रही हैं। कुछ लोगों ने तो इस दरम्यान पैदा हुए बच्चे का नाम भी ‘सोनू सूद’ रख दिया है।

जीवंत शरण

Advertisement
Advertisement