Published On : Tue, Aug 1st, 2017

असल में कुछ लेकिन बाद में घोषणाबाजी में कुछ !, ऐसी परंपरा से चल रहा है मनपा का कामकाज

NMC Nagpur
नागपुर:
नागपुर महानगरपालिका हर माह में एक आमसभा एवं जरुरत होने पर विशेष सभा का आयोजन किया जाता है. हमेशा से इन सभाओं के लिए तय विषयों की जानकारी सार्वजानिक की जाती है. आम या विशेष सभा के दिन कार्यवाही शुरू होने के पूर्व, महापौर सभी पक्ष प्रमुखों की अल्पकालीन बैठक लेकर कामकाज संचलन की रणनीति तय करती है. अमूमन तय रणनीति के अनुसार सभागृह का कामकाज निपटाया जाता है.

सत्तापक्ष कर रहा अपनी पैरवी, और विपक्ष हैं मूकदर्शक

पिछले कुछ वर्षो से मनपा में भाजपा गठबंधन की सत्ता है. सभागृह में बीजेपी को बहुमत प्राप्त है. इसकारण विपक्ष बखेड़ा खड़ा करने के अलावा बाकि कुछ कर नहीं सकता है. विपक्ष के अल्प होने का सत्तापक्ष वर्षो से भरपूर लाभ उठा रहा है. विपक्ष की इस रणनीति के मध्य सत्तापक्ष विषय पत्रिका में शामिल सभी विषयों को बहुमत के आधार पर मंजूरी दे देते है. इसके बाद पत्रकारों को मंजूर किये विषयों का विवरण/कारण/तर्क देकर खुद की पीठ थपथपाते आये है. जबकि मनपा कानून के हिसाब से सभागृह में ही विषयों का विवरण/कारण/तर्क देकर मंजूर/नामंजूर किया जाना चाहिए.

Gold Rate
Monday 27 Jan. 2025
Gold 24 KT 80,400 /-
Gold 22 KT 74,800 /-
Silver / Kg 90,900 /-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

सभागृह के कामकाज कि मूल प्रति में किया जाता है बदलाव

नियमानुसार सभागृह के कामकाज को कागजों पर उतारने का जिम्मा मनपा के तय स्टेनो का होता है. इनकी नियुक्ति इसी कार्य के लिए होती है. मनपा में हिंदी व मराठी के ४ स्टेनो है. ये वर्षो से मनपा के आम व विशेष सभा के कामकाज को ‘नोटिंग’ करती आई है. सभा का कामकाज समाप्ति के २-४ दिन के भीतर उसे ‘फेयर’ कर मंजूरी देना नियम है. लेकिन वर्षो से मनपा में आम या विशेष सभा में होता कुछ भी नहीं ( शिवाय मंजूर-मंजूर कि घोषणाओं के) और बाद में खुद की पीठ थपथपाने के लिए बड़ी लंबी-चौड़ी घोषणा मंजूर करने न करने का कारण गिनवाया जाता है. सभागृह के बाहर की घोषणाबाजी के हिसाब से स्टेनो द्वारा किये गए ‘नोटिंग’ के बाद तैयार किये गए ‘फाइनल ड्राफ्ट’ में भारी बदलाव किया जाता है. मनपा के कानून के जानकारों के हिसाब से उक्त कृत है तो गैरकानूनी लेकिन यह परंपरा सी हो गई है, जिसका कोई विरोध नहीं करता है.

सूत्र बतलाते है कि, जिस आमसभा में सत्तापक्ष या प्रशासन के मनसूबे के विपरीत किसी पक्ष-विपक्ष के नगरसेवक ने ‘पोस्टमार्टम’ किया और सत्तापक्ष या प्रशासन को अड़चन में लाने का प्रयास किया, तो सभागृह के कामकाज के पश्चात् उक्त नगरसेवक का कुछ मसाला या तो सुलझा दिया जाता है. या फिर उसकी कोई नई/प्रलंबित मांग पूरी कर दी जाती है , इसके बाद सभागृह के कामकाज की ‘नोटिंग’ से उक्त नगरसेवक का विरोध युक्त कथन मिटा दिया जाता है.

विपक्ष में बिखराव

सभागृह के कामकाज शुरू करने के पूर्व, महापौर के कक्ष में सभागृह में होने वाली कार्यवाही की रुपरेखा तय की जाती है, कार्यवाही तय करते वक़्त सभी पक्ष के नेता प्रमुखता से उपस्थित होते है, इसी अल्पकालीन बैठक के निर्णय के हिसाब से सभागृह के कामकाज को निपटाया जाता है. पिछली आमसभा में विपक्ष नेता ने जो सहमति दी थी, ठीक उसके विपरीत सभागृह के कामकाज के दौरान विपक्ष के वरिष्ठ नगरसेवक द्वारा अपनी मांगों को लेकर जिद्द करना सत्तापक्ष के समझ से परे था. इससे विपक्ष पर यह आरोप लगाया गया कि, विपक्ष नगरसेवकों में एकमत नहीं है, इस वजह से विपक्ष नेता के निर्णय को अहमियत नहीं दी जाती है.

– राजीव रंजन कुशवाहा

Advertisement