नागपुर: गड़चिरोली जिले के वड़ासा स्थित आरमोरी रेंज में इंसानों पर हमला कर आतंक मचानेवाली बाघिन को गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर बेहोश का इंजेक्शन देकर 13 अगस्त को लाया गया था। इसके बाद इसे कैद में रखा जाना है या जंगल में दोबारा आजाद छोड़ा जाना है इस पर विचार मंथन करने के िलए वन विभाग की ओर से एक समिति का गठन किया गया था। शनिवार को इस समिति की हुई बैठक में सदस्यों ने इश बाघिन को जंगल में दोबारा छोड़ने का निर्णय लिया है।
समिति में नागपूर पशुवैद्यकीय महाविद्यालय के सेवानिवृत्त अधिष्ठाता डॉ. एन.पी. दक्षिणकर, सेवानिवृत्त पशुवैद्यकीय अधिकारी डॉ. ए.जी. खोलकुटे, सतपुड़ा फाऊंडेश के अध्यक्ष किशोर रिठे, विभागीय वनाधिकारी गिरीश वशिष्ठ, मानद वन्यजीव रक्षक कुंदन हाते, गोरेवाड़ा प्राणी संग्रहालय के विभागीय प्रबंधक नंदकिशोर काले, पशुवैद्यकीय अधिकारी डॉ. विनोद धुत आदि का समावेश रहा। समिति के निर्णय के बाद अब सिफारिशों को प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यजीव) के पास विचारधीन रखा जाएगा। उनकी सहमति के बाद ही उसे जंगल में छोड़े जाने के आदेश पारित होंगे। इससे पहले ब्रह्मपुरी से लाई गई उत्पाती बाघिन को भी बोर टाइगर रिजर्व में छोड़ने का निर्णय समिति द्वारा लिया जा चुका है।