Published On : Sat, Oct 17th, 2020

अश्विनी इंफ़्रा-डीसी गुरुबक्षाणी व अधीक्षक अभियंता तालेवार को बचाने प्रशासन मौन

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– ठेकेदार कंपनी को काली सूची में डालने व सम्बंधित सभी अधिकारियों के ग़ैरकृत का सबूत राज्य के नगर विकास विभाग,मनपा को देने के बावजूद कोई गंभीरता नहीं अर्थात सम्पूर्ण ‘दाल ही काली’ हैं

नागपुर : मुंबई की अश्विनी इंफ़्रा-डीसी गुरुबक्षाणी ने JV में नागपुर मनपा अंतर्गत सीमेंट सड़क फेज-2 का ठेका फर्जी कागजात/अधूरे कागजात के आधार पर हासिल किया।इसी फर्जी कागजात के आधार पर करोड़ों का भुगतान भी अपने मनमाने खाते में डलवा लिये।उक्त ग़ैरकृत में तत्कालीन EE मनोज तालेवार ने अहम् भूमिका निभाई।इनकी ग़ैरकृत सबूत सह नागपुर टुडे/आरटीआई कार्यकर्ता ने न सिर्फ निकाली बल्कि पीएमओ,राज्य के नगर विकास विभाग व मनपायुक्त के समक्ष पेश की और दोनों ठेकेदार कंपनी को काली सूची में डालने व तत्कालीन EE मनोज तालेवार सह सभी सम्बंधित अधिकारी को निलंबित करने की मांग की.उक्त आर्थिक धांधली के लिए सक्षम अधिकारियों की चुप्पी/मौन प्रदर्शन से यह संकेत मिल रहे हैं कि सभी दोनों पक्षों को बचाने में जुट गए और समय काट रहे.

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उक्त मामले में कल शुक्रवार को विश्वसनीय सूत्रों द्वारा जानकारी मिली कि दोनों ठेकेदार कंपनी बिंदास हैं,इनके करीबियों का कहना हैं कि इसके प्रत्यक्ष दोषी तब और अब के JE,DEPUTY,EE,SE,CE,CAFO,NMC हैं.ये सभी अपने ऊपर ही कार्रवाई नहीं कर सकते ?

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दूसरी ओर ठेकेदार कंपनी ने यह भी जानकारी भिजवाई कि उक्त ग़ैरकृत को बर्दास्त करने/छिपाने के लिए तत्कालीन स्थाई समिति सभापति के नेतृत्व में उनके पक्ष को कुल काम के मूल्य का 4% कमीशन दिया गया था,इसके बाद 1% नीचे से लेकर ऊपर तक सभी में वितरित किया गया था और तो और तत्कालीन स्थाई समिति सभापति को 10 लाख चुनाव लड़ने हेतु मदद की गई थी ,क्यूंकि सभी फेज-2 की सीमेंट सड़क सभापति के घर और लकड़गंज जोन के चारों ओर ही निर्मित की गई थी.

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इनका यह भी कहना हैं कि टेंडर लेने/भरने/भुगतान प्राप्त करने में जो भी कागजातों की कमी दर्शाई जा रही,सभी को BACK DATE में पूरा करने के लिए कोशिश की जा रही,जिसमें प्रशासन के अधिकारी मदद कर रहे.इसके बावजूद अब देखना यह हैं कि उक्त ग़ैरकृत में अपने ही अधिकारियों पर कार्रवाई करने की हिम्मत कौन जुटाता हैं !

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