नागपुर : डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर आंतरराष्ट्रीय विमानतल के निजीकरण का मुहूर्त अाखिर नौ साल बाद निकल ही आया है. 28 सितंबर को एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जाहिर करनेवाली पाँचों दिगज्ज कंपनियां अपनी निविदाएं पेश करेंगी. इस निविदा प्रक्रिया में मिहान इंडिया लिमिटेड सबसे ज्यादा बोली लगानेवाली कंपनी के नाम ठेका जारी करेगी. फिलहाल एक महीने यह निविदा प्रक्रिया की जाएगी, जिसके बाद एयरपोर्ट निजी कंपनी की देखरेख में चली जाएगी.
जून २००६ मे संयुक्त कंपनी मिहान इंडिया लिमिटेड का पंजीयन किया गया और अगस्त २००९ में एमआयएल ने विमानतल के संचालन की जबाबदारी सांभाली. तकरीबन आठ साल बाद आरएफक्यू (रिक्वेस्ट फॉर क्वॉलिफिकेशन) निविदा निकाली गई. पूर्व प्रक्रिया में पात्र भागीदारों में जीवीके, जीएमआर, टाटा रियल्टी, एस्सेल इन्फ्रा, पीएनसी इन्फ्रा आदी कंपनियां शामिल हैं.
इससे पहले भी विमानतल के निजीकरण की अनेकों प्रक्रियाएं हो चुकी हैं. २००९ में नागपुर विमानतल में एएआई की ओर से एमएडीसी के पास हस्तांतरित करने के बाद से यह प्रक्रिया रुकी हुई थी.
१६८५ करोड़ रुपए के इस बेस रेटवाली निविदा में ठेका पानेवाली कंपनी के पास ७४ प्रतिशत और एमआयएल का २६ प्रतिशत हिस्सेदारी होगी. निजीकरण के बाद नागपुर एयरपोर्ट को सिंगापुर, दुबई की तर्ज़ पर विकसित किया जाएगा. फिलहाल यहां वर्तमान में २० विमानों को पार्क करने की क्षमता है, जिसे बाद में और बढ़ाए जाने की योजना है. ७४ टक्के भागीदार के साथ विमानतल के विकास के लिए १६८५ करोड़ रुपए का निवेश होगा.
दूसरे रनवे को तैयार किया जाएगा. पहले चरण में ३२०० मीटर और दुसरे चरण में बढ़ी हुई ८०० मीटर रनवे ऐसा कुल ४ हजार मीटर लंबा रनवे बनाया जाएगा. नए रनवे में दुनिया के सबसे बड़े प्लेनों में शुमार ए-३०० को भी उतारा जा सकेगा. साथ ही ६५ हजार चौरस फुट जागह की नई टर्मिनल बिल्डिंग, १६ नए पार्किंग बेज व एप्रॉन होंगे.