नागपुर : नागपुर के कारोबारी मनोज जायसवाल की कलकत्ता से गिरफ्तारी के बाद अभिजीत ग्रुप पर काले बादल मंडराने लगे है। ग्रुप का भविष्य उसी समय खतरे ने पड़ गया था जब मनोज का नाम कोलब्लॉक घोटाले में सामने आया। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अभिजीत ग्रुप में मनोज की गिरफ़्तारी के बाद भूकंप आ गया है और इसके झटके अब आगामी दिनों में नागपुर में भी देखने को मिलेंगे। वर्ष 2015 में केनरा बैंक और विजय बैंक से लिए गए 290 करोड़ रुपये का लोन नहीं चुकाने की वजह से एनपीए हो गया। 2015 में शिकायत मिलने के बाद सीबीआई ने मामला दर्ज किया और बीती रात कलकत्ता से उसकी गिरफ़्तारी हुई। अभिजीत ग्रुप के सभी प्रमोटर नागपुर के मूल निवासी होने के बावजूद ग्रुप की कंपनियों का व्यावसायिक ऑफिस कलकत्ता में स्थित है।
मनोज की कंपनियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय में अभिजीत इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड और जस इंफ़्रा कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड की जाँच शुरू है। सीबीआई द्वारा गिरफ़्तारी के बाद जाँच में तेज़ी आने का आदेश व्यक्त किया जा रहा है। मनोज के नागपुर के ठिकानों में जाँच के लिए ईडी और सीबीआई छापा मार सकती है। फ़िलहाल ईडी कंपनी से जुड़े तीन और सीबीआई 2 मामलों की जाँच कर रही है। मनोज ने अपनी विभिन्न कंपनियों के नाम पर नागपुर की एक्सीस बैंक के साथ ही कई बैंको से भारी कर्ज लिया है इस पर सीबीआई सूत्रों का कहना है की अगर उनके पास सीधे बैंको से शिकायत प्राप्त होती है तो निश्चित कार्यवाही की जाएगी।
सूत्रों की माने तो इस गिरफ़्तारी के बाद से ही शहर के उन लोगों की भी मुश्किलें बढ़ गयी है जो मनोज के साथी रहे है या कोलब्लॉक में जिनका नाम सामने आ चुका है। जाहिर है सोमवार को सीबीआई द्वारा हुई गिरफ़्तारी के बाद बैंको द्वारा शिकायतें दर्ज कराने का सिलसिला शुरू हो जायेगा। ऐसी सूरत में जाँच एजेंसीया भी सक्रिय हो जाएगी। कभी राजनीतिक संबंधो की वजह से अर्श पर पहुँचा अभिजीत ग्रुप अब फर्श पर पहुँच चुका है।