अकोला। जिले में सोयाबीन की फसल की बुआई करने वाले किसानों कमर नदारद बारिश ने तोड दी है. बकाया फसल पर इन दिनों ऊंट इल्ली के हमले से किसान की मुश्किले काफी बढ गई है.यदि किसान इन इल्लियों पर तत्काल प्रभावी कम नहीं उठाते है तो नकी उपज में काफी प्रमाण में कमी होने के आसार दिखाई दे रहे है.
खरीफ इंगामे में कृषि विभाग की ओर से जिले में 4 लाख 83 हजार 880 हेक्टेयर में 4 लाख 55 हजार हेक्टेयर में बुआई का नियोज किया गया था. जिसमें से जिले में 3 लाख 24 हजार 552 हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई पूरी हो गई है. जिले में मूंग व उडद के साथ किसानों ने सोयाबीन व कपास की बुआई अधिक की है. विगत एक माह से बारिश गायब होने के कारण फसल पानी के अभाव में सूखने की कगार पर पहुंच गई है. जिससे किसानों का एक अनुमान के अनुसार 75 प्रतिशत नुकसान होने की संभावना है. जिले में 7 जून के पश्चात खरीफ हंगामें में फसलों की बुआई की जाती है. 7 जून से 17 जून के बीच अच्छी बारिश होने के कारण किसानों ने बुआई कर दी थी. प्राकृतिक विपत्तियों के चलते किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए सरकार की ओर से राष्ट्रीय कृषि बीमा फसल योजना आरंभ की है.
जिन किसानों ने फसल बीमा योजना का लाभ लिया है उन्हें आगमी दिनों में इस योजना के तहत लाभ मिलने की संभावना है किंतु जिन किसानों ने बीमा योजना का लाभ नहीं लिया है उनके सामने काफी समस्याए निर्माण हो रही है. सोयाबीन की फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी न मिल पाने के कारण काफी समस्याओं के साथ इन दिनों ऊंट इल्लियों की समस्या परेशान कर रही. अंकुरित सोयाबीन की फसलों पर ऊंट इल्लियों के हमले के कारण किसान चिंचित दिखाई दे रहे है. इस मामले में डा. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय कीट शास्त्र विभाग के डा. डी.बी. उंदीरवाडे ने किसानों से फसलों को इल्लियों से बचाने के लिए प्रयास करने के लिए कहा है.
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