नागपुर: एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से सटी शराब की दुकानों को बंद करने के आदेश जारी किये हैं,तो दूसरी ओर नागपुर जिलाधिकारी कार्यालय का राज्य उत्पादन शुल्क विभाग जिले के उक्त मार्गों से लगे बार,होटल को नववर्ष की पूर्व संध्या पर रात भर चलने वाले जश्न के आयोजकों को “वन डे” परमिट जारी करने में मशगूल है।
नागपुर से लगे तीन राजमार्गों पर लगभग 450 बियर बारों सहित सैकड़ों होटल हैं। जहां वैध-अवैध रूप से शराब बिक्री और पीने की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी राज्य उत्पादन शुल्क विभाग के आयुक्त ने सभी जिला अधीक्षकों को पत्र भेजकर राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से शराब बेचने और पिलाने वालों की जानकारी मांगी है। साथ ही शराब के चिन्ह और शराब उपलब्ध होने सम्बंधित विज्ञापन निकालने का भी आदेश दिया है। इसके अलावा सम्बंधित राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग जिस महानगरपालिकाओं, शहर, गांव और स्थानीय प्राधिकरणों से गुजरेगी वहां भी यह प्रतिबन्ध लगाया जाएगा।
सुको और राज्य उत्पादन शुल्क विभाग के आयुक्त के इतने साफ निर्देशों के बावजूद भी नागपुर जिले का राज्य उत्पादन शुल्क विभाग अब तक दर्जनों “वन डे” परमिट बांट चुका है। विभाग के कर्मी और उनके दलाल प्रति अनुमति के िलए 2 से 10 हजार रूपए अतिरिक्त निधि वसूल रहे हैं। मांगकर्ता जिनके पास शराब बिक्री के लाइसेंस नहीं हैं,वे “वन डे” परमिट की आड़ में ग्राहकों की इच्छानुसार महंगी शराबें भी बेचेंगे। जबकि “वन डे” परमिट पीने के सन्दर्भ में जारी की जाती है। विभाग के अधिकारी के अनुसार यह”वन डे”परमिट 30 दिसंबर की रात तक जारी किए जाएंगे। ऊपरी कमाई के साथ नववर्ष पर कार्यक्रम के आयोजकों से 10-15 पासों की डीमांड अलग से की जाती है। इसी परमिट के दम पर उन्हें अनाप-शनाप दामों में शराब बेचने की छूट दी जाती है। इस गैर कानूनी गतिविधियों से जिला राज्य उत्पादन शुल्क अधीक्षक और जिलाधकारी भी भली-भांति परिचित हैं। बावजूद इसके सब की चुप्पी सुको के निर्देश का उल्लंघन नहीं ?