नागपुर : – राम मंदिर निर्माण को लेकर हो रही देरी की वजह से संघ में सरकार के कामकाज को लेकर गहरी नाराजगी है। संघ की सोच के अनुसार मंदिर निर्माण के लिए मौजूदा समय अनुकूल है इसलिए सरकार को कानून या अध्यादेश लाकर मंदिर निर्माण की पहल करनी चाहिए। सरकार न्यायालयीन प्रक्रिया के माध्यम से चलकर मंदिर के निर्माण का रास्ता प्रशस्त करना चाहती है जबकि संघ को लगता है कि इस प्रक्रिया में देरी होगी। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार से शुरू हुई सुनवाई के पहले दिन जज यू यू ललित के सुनवाई के अलग होने की घटना संघ के संदेश को और मजबूत करती है।
लंबे समय से समाज में संघ हिंदू समाज में राम मंदिर निर्माण को लेकर जनजागृति का अभियान चला रहा है। मौजूदा वक्त में सी अभियान में तेजी भी आयी है। हुँकार सभा का आयोजन कर संघ अपना मत स्पस्ट कर चुका है। प्रधानमंत्री के राम मंदिर पर दिए गए बयान के बाद संघ की तरफ से सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी ने जो भूमिका रखी थी उससे साफ़ था की मंदिर निर्माण को लेकर संघ आक्रामक भूमिका में है।
कुंभ मेले के दौरान संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत प्रयागराज में आयोजित होने वाले साधु-संतों की धर्म संसद में भाग लेने वाले है। उम्मीद है कि इस कार्यक्रम के केंद्र में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा ही रहेगा और संघ की तरफ से फिर एक बार आक्रामक भूमिका रखी जायेगी। मकर सक्रांति के अवसर पर संघ के स्वयंसेवक वर्षो से घर-घर जाकर संवाद करते रहे है। इस बार राम मंदिर मुद्दा वार्तालाप का प्रमुख मुद्दा रहेगा।
संघ चाहता है कि मंदिर निर्माण को लेकर आक्रामक भूमिका समाज की तरफ से जानी चाहिए जिससे सरकार कोई फैसला लेने के लिए बाध्य हो। इस सरकार के कार्यकाल को समाप्त होने में अभी कुछ महीनो का वक्त है। सरकार अगर चाहे तो विशेष सत्र बुला सकती है। किसी भी तरह से मंदिर का निर्माण हो यह संघ की भूमिका है जल्दी हो यह भी संघ का मत है। आने वाले दिनों में होने वाले उत्सवों के दौरान संघ के कार्यकर्त्ता इसी मुद्दे को जनता के बीच उठायेंगे।