असोसिएशन फॉर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इन बेसिक सायंस एजुकेशन, नागपुर महानगर पालिका और विज्ञान प्रसार, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अपूर्व विज्ञान मेला- 2022 के दूसरे दिन विद्यार्थियों, शिक्षकों और विज्ञान प्रेमियों ने सहज-सरल प्रयोगों का भरपूर आनंद उठाया. सन् 1998 से प्रतिवर्ष अनवरत जारी इस मेला का यह 25वां वर्ष है. इस वर्ष इसे रजत जयंती महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है.
उल्टा करने पर भी गिलास से पानी नहीं गिरता
इसके अलावा दो अलग-अलग चित्रों को दो अलग-अलग आंखों से अलग-अलग देखने पर हथेली में छेद दिखने का प्रयोग भी सभी का ध्यान आकर्षित कर रहा है. पानी भरे गिलास पर छन्नी लगा कर उल्टा कर देने पर भी पानी नहीं गिरता. लैटर इन्वर्सन को समझाने के लिए दो मिरर को एक विशिष्ट एंगल से जोड़ दिया गया है. इससे यदि आप इसके सामने दाहिना कान पकड़ेंगे तो कांच में आपको बायां कान पकड़े हुए दिखाई देता है.
रंग बदलता सिंदूर
रसायनशास्त्र के वाटर आफ क्रिस्टलाइजेशन की भूमिका समझाने हेतु रंग बदलता सिंदूर का प्रयोग दर्शाया गया है. गर्म करने पर सिंदूर रंग बदलता है और ठंडा होने पर फिर अपने रंग में आ जाता है. रिलेशन बिट्विन प्रेशर एंड एरिया को समझाने के लिए कागज को खंबों को क्षमता से अधिक भार रखने का प्रयोग भी है.
पंडित जी की हिलती चोटी
आंखों में पहुंचे चित्र के क्षण भर के ठहराव के समय से तेज गति से दो कागजों पर बने पंडित जी की फोटो को तेजी से हिलाने से हमें पंडित जी की चोटी हिलती हुई दिखायी देती है। इसके साथ ही रसायन शास्त्र, भौतिक शास्त्र व जीव विज्ञान के नियमों की जानकारी देते सरल प्रयोगों की श्रृंखला चल पड़ती है. सेंटर ऑफ ग्रैविटी का सिद्धांत हो या मैग्नेटिक फील्ड का, मनपा शालाओं के ये छोटे-छोटे बच्चे पूरे अधिकार के साथ अपने प्रयोगों की जानकारी आगंतुकों को देते रहे। विशेष बात यह रही कि आज छात्रों के अलावा वयस्क भी प्रयोगों में रुचि लेते रहे। लकड़ी की छोटी स्केल धागे से बांध कर घुमाने से आवाज निकलने का प्रयोग देखने पहुंच एक स्कूली विद्यार्थी ने तो तुरंत इसकी तुलना मुंह से निकलने वाली आवाज से कर डाली। छोटे-छोटे बच्चों के इस आत्मविश्वास को देखकर विज्ञान के बुनियादी सिद्धांतों को सहजता से समझाने का प्रयास सफल प्रतीत होता है। प्रयोग ही प्रयोग में जनजागरण का भी प्रयास किया गया है।
रोचक पुस्तकों का संसार
अपूर्व विज्ञान मेला के लिए राष्ट्रभाषा भवन परिसर में प्रवेश करते ही लोगों की नजर किताबों के स्टाल पर पड़ती है. ये किताबें एकलव्य प्रकाशन, भोपाल द्वारा विशेष रूप से विज्ञान मेला के लिए उपलब्ध कराई गई हैं. यहां ज्यादातर किताबें विज्ञान की गतिविधि आधारित हैं. चार्ट्स हैं, मोड्यूल्स हैं. कक्षा 3री से कक्षा 10वीं तक के विद्यार्थियों में विज्ञान को सरल व लोकप्रिय बनाना ही इनका मुख्य उद्देश्य है. आसानी से समझ में आनेवाले मोड्यूल्स की किताबों में शारीरिक संरचना, त्वचा, कोशिकाओं का वितरण आदि प्रमुख हैं. छोटे बच्चों
के लिए पिक्चर स्टोरी की किताबें भी नाममात्र मूल्य में उपलब्ध कराई गई हैं. हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में किताबें हैं. माथापच्ची सेट के अंतर्गत 9 किताबें हैं जो बच्चों के साथ बड़ों को भी माथापच्ची करने पर मजबूर कर देती हैं. इन्हें स्कूलों में भी खाली समय में बच्चों को खेल-खेल में सीखने की तर्ज पर दिया जा सकता है. कुल मिलाकर बच्चों के मानसिक विकास, समस्याओं के समाधान और उनकी जिज्ञासाओं को शांत करने की दिशा में उपयोगी पुस्तकों का संग्रह है. अपूर्व विज्ञान मेला 20 नवंबर तक प्रतिदिन सुबह 11 से शाम 4 बजे तक राष्ट्रभाषा भवन परिसर (उत्तर अंबाझिरी मार्ग, आंध्र एसोसिएशन भवन के बगल में) में विद्यार्थियों, शिक्षकों और विज्ञान प्रेमियों के लिए शुरू रहेगा. प्रवेश निःशुल्क है. अधिक जानकारी के लिए राष्ट्रभाषा भवन (फोन 0712 – 2523162) से संपर्क किया जा सकता है.